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शब्दवाणी : दुनिया मबलब की है Shabadvani Duniya Matlab Ki


शब्दवाणी शीषर्क "दुनिया मबलब की है" का हिन्दी रूपान्तरण ।

रे दुनिया मतलब की है,
अबे म्हाने जान पड़ी,
जद तक बैल रवे घाणी में,
तब तक लागे भाई सार घणी,
बूढ़ा होए बाहर न काढ़े,
डोले अली रे गली
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शब्दार्थ :- अबे-अब,  म्हाने-मुझे,  जान पड़ी-पता लगा,  जद-जब,   रवे-रहे,  न-को,  काढ़े-निकाले,   डोले-फिरे,  अली रे गली-गली गली निरुद्देश्य भटकना । 
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हिन्दी रूपान्तरण :- अब मुझे ज्ञात हुआ कि यह संसार स्वार्थ का पुजारी है। जब तक बैल जवान रहता है, उसके शरीर में शक्ति रहती है, उसे अच्छा खिलाया पिलाया जाता है। एक समय ऐसा आता है जब उसका शरीर कमजोर पड़ने लगता है, ऐसी स्थिति में उसे घाणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाता है गलियों में आवारा भटकने को। इस संसार में जब तक स्वार्थ रहता है, व्यक्ति का संपर्क रहता है, स्वार्थ समाप्त होते ही उससे संबंध तोड़ लिए जाते हैं।


जद तक पूत कमा के देवे,
माता करे लाड़ घणु प्यार,
पिता कवे पूत सपूता,
अक्लमंद बडो है होंशियार,
रे दुनिया मतलब की है,
अबे म्हाने जान पड़ी
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शब्दार्थ :- जद-जब,  घणी-बहुत, कवे-कहे, बडो है-बड़ा ही
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हिन्दी रूपान्तरण :- माता पिता को भी वही संतान प्रिय होती है, जो उन्हे कमा कर धन दे। जब तक उनकी संतान कमा कर देती रहती है वे उसकी प्रशंसा करते हैं की उनकी संतान काफी होंशियार एंव अक़्लमंद है।

जद तक तेल दिया संग,
तब तक लोय जले घणी,
तेल निमडग्या लोय बुझगी,
टूटी बाती, होगी अंधेर घणी
रे दुनिया मतलब की है,
अबे म्हाने जान पड़ी
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शब्दार्थ :- जद-जब,  दिया-दीपक,  लोय-लौ,  घणी-बहुत,  निमडग्या-समाप्त हो जाना ।  
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हिन्दी रूपान्तरण :- जब तक दिये में तेल रहता है तब तक उजाला रहता है, एक दिन तेल को तो समाप्त होना है, जिस दिन तेल समाप्त हो जाता है, चारों तरफ अंधकार व्याप्त हो जाता है।

इस नश्वर शरीर की तरफ संकेत है की जब तक प्राणो की शृंखला चल रही है, ये संसार है, इसके समाप्त होते ही जीवन समाप्त हो जाएगा।

एक डाल दो पंछी बेठ्या,
बोले हरी हरी,
टूटी डाली पंछी उड़ग्या,
उड़ग्या भाई रे दूर घणी
रे दुनिया मतलब की है,
अबे म्हाने जान पड़ी
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शब्दार्थ :- बेठ्या-बैठे ,   उड़गया-उड़ गए,
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हिन्दी रूपान्तरण :- एक डाल पर दो पक्षी बैठकर ईश्वर के नाम का सुमिरन कर रहे हैं, डाली टूटते ही उड़ जाते हैं, दूर कहीं। इस नश्वर काया को छोड़कर एक दिन सबको कहीं दूर जाना है।


करके भांत भांत रा शिंगार,
पिउ सु जाय मिली,
कवे कबीर सुनो भाई साधो,
रे कुण की प्रीत खरी, 
रे दुनिया मतलब की है,
अबे म्हाने जान पड़ी
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शब्दार्थ :- पिउ-साजन,  जाय- जाके,  कुण की-किसकी । 
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हिन्दी रूपान्तरण :- देह को शिंगार के स्त्री अपने साजन से मिलती है, लेकिन मिलना किससे है, आप स्वंय ही निर्णय निकालिएगा की किसकी प्रीत सच्ची है, खरी है। हमें अपना जीवन रहते इस प्रकार के कार्य करने चाहिय जिससे यह समाप्त होने पर ईश्वर से नजर मिला पाने में सक्षम हों।