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लघु कथा Hindi Short Story


चाय के ढाबे पर देश की बिगड़ती वर्तमान स्थिति और बाबा रामदेव की देशभक्ति पर चर्चा चल रही थी । एक सज्जन ने जो उस क्षेत्र की तथाकथित ऊंची जाती से संबंध रखता था,  कहा की सबको इस बार बाबा रामदेव की पार्टी के उम्मीदवार को ही वोट देना चाहिए, आम नागरिक सही व्यक्ति को नहीं चुनती है, इसलिए वो स्वय देश की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार है।

रामप्रसाद वहीं बैठा उनकी बात सुन रहा था। राम प्रसाद ने कहा की भ्रष्ट लोगों के चयन के पीछे "जातिवाद" भी एक कारण है।

सज्जन व्यक्ति ने ने तुरंत ही कहा की नहीं-नहीं ऐसा तो बिलकुल भी नहीं है, सभी लोग स्वतन्त्र हैं एंव किसी को भी वोट दे सकते हैं।

रामप्रासाद ने सज्जन व्यक्ति से पूछा  "यदि एक ओर आपकी जाति (तथाकथित ऊंची जाति)  का उम्मीदवार हो और दूसरी और बाबा रामदेव की पार्टी का नीची जाति (तथाकथित) का उम्मीदवार, तो आप किसे वोट देंगे?"

सज्जन व्यक्ति ने जितना समय उत्तर सोचने में लगाया उससे रामप्रसाद को  "वास्तविक उत्तर"  का पता चल चुका था, साथ ही रामप्रसाद ने यह भी भांप लिया की चाय वाला भी सोच रहा था की "ये सिरफिरा कहाँ से उसकी दुकानदारी चौपट करने आ धमका है।"