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सितारा जब भी टूटा, नहीं आसमां साथ Sitara Jab Bhi Tuta Poem Lyrics


एक बात है पते की, सुन लिजीये जनाब। 
करो जो ओंधा सीधा, रख लिजीये जवाब।।
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यह जीवन बीता जाय, क्यों करता अपकार।
हरि स्मरण के बिना यह, जीवन है बेकार।। 
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महका सत्य से जीवन, किससे तू घबराय। 
होगा एक दिन हिसाब, कौन तूझे बचाय।।
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जाना है सब छोड कर, बुझनी है जो बाति।
कोइ जान पहचान भी, जहां काम ना आति।। 
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दूसरों को अभी नहीं, पहले खुद को जाँच।
रौशन सच हमेशा ही, सांच को नहीं आँच।। 
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कल की चिंता छोड़ दे, जीवन है तो बस आज।
कुछ यहाँ जो मिला नहीं, है लकिरों का राज।।
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सितारा जब भी टूटा, नहीं आसमां साथ। 
होना होकर ही रहा, क्या है तेरे हाथ।।
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क्या गुम हो गया तेरा, लूट गया रे कौन।
है धन्य छाति धरा की, नित लुटकर भी मौन।।
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