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नज़रों में जब आपकी गुंजाइस कोई रही नहीं Najaro Me Jab Aapki Poem


जमीने कम पड़ी जबसे बटवारों में,
जगह दिलों में इंसान के रही नहीं। 

चले मंदिर में नया देवता बनाने को,
क्या मन में कोई मूरत अब रही नहीं। 

आजमाए तो होंगे आपने चेहरे कई,
दौलत जब आपकी भी रही नहीं। 

हम तो जी लेते हैं खामोशी से यहाँ,
आग जहन में आपके क्योँ रही नहीं। 

आजमाया हमने आपकी दुनिया को,
कदर अश्कों की आज जहां रही नहीं। 

कैसे कह दें आपको दिल वाली बात,
नज़रों में जब कोई गुंजाइसरही नहीं।

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