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इक रोज ये नीरस जिंदगी बीत जायेगी Ek Roj Ye Jivan Poem Lyrics


इक रोज ये नीरस जिंदगी बीत जायेगी,
सूनी रातों की तन्हा चाँदनी रीत जायेगी।
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कोई बात न कर उसकी बेवफाई की यहाँ,
है वो मेरी कहानी साथ मेरे बीत जायेगी।

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इक  दिल ही तो था टूट कर बिखर गया,
जोड़ने में इसको उमर सारी बीत जायेगी।
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लगता है  आज वो  गरीबी मेरे  नसीब की,
 दुश्मनी  नसीब की देखूं कहाँ बीत जायेगी।
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"सच" पिघल जाएगा पत्थर दिल इक रोज,
हाँ तासीर-ऐ-अश्क इक रोज जीत जायेगी।
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