मेरे बारे में आपको बताने को कुछ खास तो नहीं है लेकिन एक बात है "मैं जो कहता हूँ.....वो ही करता हूँ। सच को सच कह और झूठ को झूठ कहने का हौसला खुदा ने बक्शा है। अहसानमंद हूँ खुदा का । जीवन में पाने खोने का सिलसिला तो चलता रहता है, लेकिन कुछ तो ऐसा है जो खो जाए तो उसका मलाल साँसों के बीतने तक रहता है। शास्त्रों में लिखा है "कर्म प्रधान विश्व करी राखा जो जस करै सो तस फल चाखा", लेकिन जनाब ये हाथों की रेखाएं यूँ ही तो नहीं बना करती। लेखन का शौक मेरे स्वर्गीय पिताजी से मिला है। अरविन्द जांगिड, सीकर (राजस्थान) शैक्षणिक योग्यता- अग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर
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