किसी ने एक बार मेरी ओर भी,
मुस्कुराकर देखा था,
मुझे अपना दोस्त बनाया,
मैंने भी तो, फूलों से,
उनकी यादों को सजाया था,
फूल क्या हैं, तैरती हवा में,
जैसे हो कोई मिठास,
कविता क्या है, अनकहा कुछ,
जैसे खामोश हो कोई तलाश,
उन्ही ने तो सिखलाया था,
शायद, मैं उनके जितना
तेज चल ना पाया,
वक़्त रहते, कोई बात थी,
जो कह ना पाया,
मुस्कुराते मुस्कुराते,
वो मुझे छोड़, कहीं चले गए,
जाते जाते मुस्कुराहट को,
यादों के हवाले छोड़ गए,
आखिरी सलाम का,
कोई एक खत भी तो नहीं आया था,
कल फिर उनका सपना आया था







बड़ा गजब हुआ.
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना .
जवाब देंहटाएं