खाक होकर भी जो, आपकी यादों को रोशन किया करता है Khak Hokar Bhi Poem
गुलशन आबाद है खिलते फूलों से,
उनके बिना खिलता चमन, खला करता है।
वो गुम हुये चेहरों की भीड़ में,
कोई राहों में, उनके निशा ढूंढा करता है।
दौलत कब खरीद पाई प्यार को,
दिलवाला तो अक्सर, गरीब हुआ करता है।
सुहानी यादें तो जहां ने संभाली,
तुम्हारे दिए जख्मों को, रोज रात कोई गिना करता है।
शायद मना लेगा, रूठे प्यार को एक दिन ,
कोई है जो, इस भरम से ही, रोज जिया करता है।
कौन होगा उस जैसा करीब आपके,
खाक होकर भी जो, आपकी यादों को रोशन किया करता है।