मत समझिए कलम को बेजान,
पन्ने इतिहास के पलट के देखिये।
खुले रहते दरवाजे जहाँ हरदम,
खुदा की दहलीज़ पर आके देखिये।
जहान लगता सारा जन्नत जैसा,
खुद को खाक में मिला के देखिये।
आज बच्चे तरसने लगे खेलने को,
आंगन की दीवार गिरा के देखिये।
खुद ही चले जाएंगे आतताई कैसे,
खुदीराम बोस से पूछ के देखिये।
इंसान कैसे हुआ जुदा इंसान से,
लहू को लहू में मिला के देखिये।
शायद भूल चले ये वतन किसका,
बुजुर्गों से नजरें मिला के देखिए।
क्या क्या पा लिया है आज हमने,
बुजुर्गों को आँगन में बुला के देखिए।
टूट जाएंगे जाने वहम आपके कितने,
नजर से नजर को मिला के देखिये।
आज बोलना भी तो आसान नहीं रहा,
"सच" को जबान पे चढ़ा के देखिये।







क्या खुद ही चले जाएंगे आतताई,
जवाब देंहटाएंसावरकर, खुदीराम, बोस से पूछ के देखिये।
satya kaha hai...
जायेगा वहम आपके कितने
जवाब देंहटाएंनजर से नजर मिला देखिये
...............बिकुल सत्य कहा आपने अरविन्द जी
बहुत ही सुन्दर भावमय प्रस्तुति हर एक पंक्ति एक नये सच को जीवंत करती हुई ...।
जवाब देंहटाएंइंसान कैसे जुदा इंसान से
जवाब देंहटाएंलहू को लहू में मिला के देखिए।
बहुत खुब।
खुबसुरत एहसास लिए सुन्दर रचना। आभार।
अरविन्द जी
जवाब देंहटाएंआपकी इस गजल में भूत ..भविष्य और वर्तमान तीनों बहुत संजीदगी से अभिव्यक्त हुए हैं ...काफी संजीदगी से अपने हर एक लफ्ज का प्रयोग किया है ...हर एक शेर में भाव सम्प्रेषण ...कमाल का है ...कुल मिलकर पूरी गजल ..के क्या कहने ..यूँ ही लिखते रहें ...मेरी पसंद की विधा में .....शुक्रिया
एक बेहतरीन ग़ज़ल ख़ास तौर पे बुजुर्गों को बुला के देखिये तो लाजवाब है
जवाब देंहटाएंजहाँ सारा जन्नत जैसा
जवाब देंहटाएंखुद को खाक में मिला कर देखिये !
बहुत खूब!
टूट जाएंगे वहम आपके कितने,
जवाब देंहटाएंबेहतरीन अरविंद भाई| बधाई|
... vaah vaah ... kyaa kahane !!
जवाब देंहटाएं'kahan raha ab asan bolna
जवाब देंहटाएंsach juban par chadha ke dekhiye'
achchhi baten....umda sher.
भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों बहुत संजीदगी से अभिव्यक्त हुए हैं इस गजल में| बधाई|
जवाब देंहटाएंसार्थक सन्देश देती कविता.
जवाब देंहटाएंसच बोलना आसान नहीं. ...
जवाब देंहटाएंसुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति।
सुन्दर प्रस्तुति!
जवाब देंहटाएंइंसां कैसे जुदा इंसान से ,
जवाब देंहटाएंलहू से लहू मिला कर देखिये !
वाह,आपके चिंतन की गहराई इस शेर में साफ़ दिखाती है !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
sunder rachna
जवाब देंहटाएंkabhi yha bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com
बच्चे तरसने लगे खेलने को,
जवाब देंहटाएंआंगन की दीवार गिरा के देखिये।
waah kya baat hai !
maine aapke comments Divya Ji ke Blog Zeal pe padhi...aapke vichar kaafi positive hain ..aapki kavita mujhe achchi lagi. Thanks
जवाब देंहटाएंखूबसूरती से व्यक्त किये गए विचार....नव वर्ष मंगलमय हो !!!!!!!
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