घुट रहा था अरसे से दिल,
हैरत कैसी अब बरसने में।
वो जमीन से आसमान हुये,
कौन शामिल है मेरे साये में।
कैसे छुपा लूँ तेरे गम को,
छलक़ता जो खून नजरों में।
ढूँढता हूँ मेरा वजूद वही पुराना,
खोया जो किसी की, नजरों में।
मैं जी लेता ए वक़्त लेकिन,
रहा तेरा खंजर मेरी पीठ में।







ढूँढता हूँ मेरा वजूद वही पुराना,
जवाब देंहटाएंखोया जो किसी की, नजरों में।
यह सबसे अच्छी लगीं.
सुदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंवो जमीन से आसमान हुये,
जवाब देंहटाएंकौन शामिल है फिर मेरे, साये में।
... bahut sundar !!
bahut sundar
जवाब देंहटाएंसुन्दर है.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन ।
जवाब देंहटाएंकौन शामिल है फिर मेरे साये में ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंकौन शामिल है फिर मेरे साये में ! बहुत खूब !
जवाब देंहटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंBeautiful as always.
जवाब देंहटाएंIt is pleasure reading your poems.
कहीं किसी की कमी सी खली
जवाब देंहटाएंकभी पास थी कभी दूर वो चली
नज़र फिर उसे ही ढूँढने चली ....
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति। हर पंक्ति पढने वाले को अपने ही मन की बात लगेगी।
जवाब देंहटाएंbahut khoob!
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