घुट रहा था अरसे से दिल,
हैरत कैसी अब बरसने में।
वो जमीन से आसमान हुये,
कौन शामिल है मेरे साये में।
कैसे छुपा लूँ तेरे गम को,
छलक़ता जो खून नजरों में।
ढूँढता हूँ मेरा वजूद वही पुराना,
खोया जो किसी की, नजरों में।
मैं जी लेता ए वक़्त लेकिन,
रहा तेरा खंजर मेरी पीठ में।