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"टूटे ख्वाबों को कतार में सजा के देख" Tute Khavbo Ko Katar Poem Lyrics


ज़िंदगी होती हसीन यूं भी,
ज़िंदगी गैरों की हसीन बना के देख। 

छट जाता है सदियों का अंधेरा,
दिया सच का एक पल जला के देख। 

ये ना देख की जीतती है बेईमानी,
हार के मुस्कुराती ईमानदारी देख। 

मिल जाती हैं मंजिल राह चलते,
मंजिलों से नहीं, राहों से दिल लगा के देख। 

अब छोड़ की किसकी रही खता,
रूठे यार को तू ही आज मना के देख। 

क्या मिलता नहीं लौटकर कुछ,
नेकी को कुए में डाल के देख। 

सुलझ उठेंगी  दुनिया भर की उलझने,
लगी गाँठे मन की सुलझा के देख। 

जाग जाएंगे सोये सुर सारे,
पहले सोई तेरी रूह जगा के देख।

जो हो समझनी दिल की बातें,
खुद को यूँ ही ठगवा के देख।

मुट्ठी भर है संसार सारा,
सीने में पड़ी सलवटे निकाल के देख।

कैसे हुआ इंसान दुश्मन इंसान का,
तेरे मेरे की दीवार गिरा के देख।

अमन होता कायम कुछ ऐसे,
खुद को आग के हवाले कर के देख।

जहां कोई दुश्मन ना हो किसी का,
ख्वाब कोई ऐसा भी दिल में सजा के देख।  

गुम हुई पहचान जो "सच" यहाँ,
टूटे ख्वाबों को कतार में सजा के देख।

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