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11.2.11

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"मेरे नाम से उनकी बेवफाई रहने दो"



आपने सदैव ही नियमित रूप से ब्लॉग पर पधारकर अपना मार्गदर्शन दिया है, इस हेतु आपका सच्चे दिल से शुक्रिया। 

आदरणीय मैडम दिव्या जी आदरणीय डाक्टर मोनिका शर्मा जी आदरणीय संजय भास्कर जी आदरणीय डॉक्टर रूपचन्द्र शास्त्री जी आदरणीय झंझट जी, सुरेन्द्र सिंह जी आदरणीय अमित जी आदरणीय केवल राम जी आदरणीय भारतीय नागरिक जी आदरणीय रश्मि प्रभा जी आदरणीय कैलाश सी शर्मा जी आदरणीय ज्ञान चंद्र मर्मज्ञ जी आदरणीय रोशी जी आदरणीय वाणी गीत जी आदरणीय कुंवर कुसुमेश जी आदरणीय अमरेन्द्र जी आदरणीय हरकीरत हीर जी आदरणीय बाली जी आदरणीय निर्मला कपिला जी




है कोई रिश्ता उसे अंजाना रहने दो,
दिलों की बातें, दिलों में रहने दो। 
जीने का कोई बहाना तो रहने दो,
ज़ख़्मों को मेरे ताजा रहने दो। 
ज़िंदगी को अँधेरों के सहारे रहने दो,
रौशनी को बस रौशनी रहने दो। 
उफन ना आए ये दिल आज कहने दो,
आँखों के रस्ते दिल को रहने दो। 
"सच" वफा तो  कभी मिली नहीं,
मेरे नाम से उनकी बेवफाई रहने दो।

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मेरे बारे में...
रहने वाला : सीकर, राजस्थान, काम..बाबूगिरी.....बातें लिखता हूँ दिल की....ब्लॉग हैं कहानी घर और अरविन्द जांगिड कुछ ब्लॉग डिजाईन का काम आता है Mast Tips और Mast Blog Tips आप मुझसे यहाँ भी मिल सकते हैं Facebook या Twitter . कुछ और

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Comments
16 Comments
16 टिप्पणियां:
  1. जीने का कोई बहाना तो रहने दो
    जख्मों को मेरे ताजा रहने दो
    अरविन्द जी
    प्यार के एहसास को व्यक्त करती यह रचना बहुत खूब बन पड़ी है ...आपका शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  2. सच वफा तो कभी मिली नही
    मेरे नाम से उनकी बेवफाई रहने दो।

    बहुत प्यारी नज्म है। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  3. है कोई रिश्ता उसे अंजाना रहने दो,
    दिलों की बातें, दिलों में रहने दो।
    जीने का कोई बहाना तो रहने दो,
    ज़ख़्मों को मेरे ताजा रहने दो।

    YAADON KA EHSAS
    SUNDER

    जवाब देंहटाएं
  4. चित्र एवम् गजल दोनों खूबसूरत हैं।

    एक निवेदन-

    मैं वृक्ष हूँ। वही वृक्ष, जो मार्ग की शोभा बढ़ाता है, पथिकों को गर्मी से राहत देता है तथा सभी प्राणियों के लिये प्राणवायु का संचार करता है। वर्तमान में हमारे समक्ष अस्तित्व का संकट उपस्थित है। हमारी अनेक प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं तथा अनेक लुप्त होने के कगार पर हैं। दैनंदिन हमारी संख्या घटती जा रही है। हम मानवता के अभिन्न मित्र हैं। मात्र मानव ही नहीं अपितु समस्त पर्यावरण प्रत्यक्षतः अथवा परोक्षतः मुझसे सम्बद्ध है। चूंकि आप मानव हैं, इस धरा पर अवस्थित सबसे बुद्धिमान् प्राणी हैं, अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि हमारी रक्षा के लिये, हमारी प्रजातियों के संवर्द्धन, पुष्पन, पल्लवन एवं संरक्षण के लिये एक कदम बढ़ायें। वृक्षारोपण करें। प्रत्येक मांगलिक अवसर यथा जन्मदिन, विवाह, सन्तानप्राप्ति आदि पर एक वृक्ष अवश्य रोपें तथा उसकी देखभाल करें। एक-एक पग से मार्ग बनता है, एक-एक वृक्ष से वन, एक-एक बिन्दु से सागर, अतः आपका एक कदम हमारे संरक्षण के लिये अति महत्त्वपूर्ण है।

    जवाब देंहटाएं
  5. प्यार के अहसास को ब्यक्त करती सुन्दर ग़ज़ल|

    जवाब देंहटाएं
  6. मन की कोमल भावनाओं को सहेजती हुई इस सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई, अरविंद जी।

    जवाब देंहटाएं
  7. तुझे भूल ना पाऊं इसलिए ही तेरे दिए जख्मों को भरने ना दिया ...

    जवाब देंहटाएं
  8. डॉ. दिव्या श्रीवास्तव ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर किया पौधारोपण
    डॉ. दिव्या श्रीवास्तव जी ने विवाह की वर्षगाँठ के अवसर पर तुलसी एवं गुलाब का रोपण किया है। उनका यह महत्त्वपूर्ण योगदान उनके प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता, जागरूकता एवं समर्पण को दर्शाता है। वे एक सक्रिय ब्लॉग लेखिका, एक डॉक्टर, के साथ- साथ प्रकृति-संरक्षण के पुनीत कार्य के प्रति भी समर्पित हैं।
    “वृक्षारोपण : एक कदम प्रकृति की ओर” एवं पूरे ब्लॉग परिवार की ओर से दिव्या जी एवं समीर जीको स्वाभिमान, सुख, शान्ति, स्वास्थ्य एवं समृद्धि के पञ्चामृत से पूरित मधुर एवं प्रेममय वैवाहिक जीवन के लिये हार्दिक शुभकामनायें।

    आप भी इस पावन कार्य में अपना सहयोग दें।
    http://vriksharopan.blogspot.com/2011/02/blog-post.html

    जवाब देंहटाएं
  9. भाई अरविन्द जी ,

    सभी शेर सच्चाई को अपने लहजे में बयां कर रहे हैं ...

    ब्लाग का कलेवर मनमोहक लगा |

    जवाब देंहटाएं
  10. कोमल भावनाओं को सहेजती हुई इस सुंदर ग़ज़ल ...... अरविंद जी।

    जवाब देंहटाएं
  11. आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ, क्षमा चाहूँगा,

    जवाब देंहटाएं
  12. सच वफा तो कभी मिली नही
    मेरे नाम से उनकी बेवफाई रहने दो।
    बहुत प्यारी कोमल भावनाओं को सहेजती हुई सुंदर नज्म है।
    हार्दिक शुभकामनायें ...

    जवाब देंहटाएं

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