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14.2.11

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फिर भी भरम रखता है आदमी





शौक जीने का रखता है आदमी,
रोज जीने को मरता है आदमी। 
कोशिश तो खुदा को समझने की,
खुद को समझता नहीं है आदमी। 
खुदा जाने कैसा रंग है चेहरों का,
हर बार जो बदलता है आदमी। 
रोज बोलने की आदत रही नहीं,
अब कभी कभी बोलता है आदमी। 
शायद वक्त ने छीना जीने का बहाना,
फिर ख़ाक में कुछ ढूंढता है आदमी।
"सच" जानता है टूटना इक दिन,
फिर भी भरम रखता है आदमी। 


***   ***   ***

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मेरे बारे में...
रहने वाला : सीकर, राजस्थान, काम..बाबूगिरी.....बातें लिखता हूँ दिल की....ब्लॉग हैं कहानी घर और अरविन्द जांगिड कुछ ब्लॉग डिजाईन का काम आता है Mast Tips और Mast Blog Tips आप मुझसे यहाँ भी मिल सकते हैं Facebook या Twitter . कुछ और

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Comments
23 Comments
23 टिप्पणियां:
  1. बिल्कुल सही मनोभाव उकेरे हैं .... भरम में ही जीता है इन्सान.....

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ख़ूबसूरत..हर पंक्ति लाज़वाब..

    जवाब देंहटाएं
  3. इंसानी फितरत की बेहतरीन तस्‍वीर पेश की आपने।

    जवाब देंहटाएं
  4. हर पंक्ति लाज़वाब..
    प्रेमदिवस की शुभकामनाये !

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुंदर ...आज के दिन आपको मेरी प्यार भरी शुभकामनायें

    जवाब देंहटाएं
  6. खुद इतने रंग बदलेगा तो क्या ख़ाक समझेगा खुद कों ?
    प्रशंसनीय अभिव्यक्ति

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत ही सुन्‍दर शब्‍द रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बिल्कुल सही है सर जी। इंसान की फितरत ही कुछ ऐसी होती है खुद को समझ पाता नहीं और उपर वाले को समझने की कोशिश करता है। बेहतरीन रचना।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत khoob ... लाजवाब ग़ज़ल कही है ... insaan के aski रंग dikha diye हैं ..

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत khoob ... लाजवाब ग़ज़ल कही है ... insaan के aski रंग dikha diye हैं ..

    जवाब देंहटाएं
  11. कोशिश तो खुदा को समझने की,
    खुद को समझता नहीं है आदमी !

    बहुत ही गहराई लिए हुए खूबसूरत शेर है !
    पूरी ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद कबूल करें

    जवाब देंहटाएं
  12. खूबसूरत गजल। एक और हकीकत देखें http://rajey.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  13. अरविन्द जांगिड जी! बहुत सही कहा आप ने
    कोशिश तो खुदा को समझने की,
    खुद को नहीं समझता है आदमी !
    आज आवश्यकता है , आम इंसान को ज्ञान की,
    श्रेष्ठ कविता के लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं
  14. भ्रम में जीना भी अच्छा , सुंदर रचना

    जवाब देंहटाएं
  15. एक आदमी कई-कई चेहरे रखता है, इस तथ्य का खूबसूरत चित्रण है आपकी ग़ज़ल में।

    बढ़िया ग़ज़ल।
    शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  16. आदत.......मुस्कुराने पर
    लड़की की दास्तान............संजय भास्कर
    नई पोस्ट पर आपका स्वागत है
    .......अरविन्द जी!

    जवाब देंहटाएं

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