उसे, इकरार ए वफ़ा का नाम दो Use Ikrar Aie Wafa Ka Naam Poem
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सभी तो खामोश हैं,
जमाने के दस्तूर के आगे,
चेहरों पर छाई जो अजीब सी ख़ामोशी,
उसे, बेबसी का नाम दो,
रोज कितने अरमान,
यूँ ही दफ्न होते हैं दिलों में,
है जो, रजा ए नसीब,
उसे, इंतकाम का नाम दो,
दिल का आसुओं से रिश्ता,
लगता कोई पुराना है,
दिल से रिस पड़ी जो बुँदे,
उन्हे, मोतियों का नाम दो.
आग से परवाने का,
बस स्वार्थ का साथ नहीं,
जलकर भी जो रहे हैं चमक,
उन्हे, शहीद ए मोहब्बत का नाम दो.
मुझे शिकायत नसीब से,
किसी और से नहीं,
जब कभी तुम्हें भी हो कोई शिकायत,
उसे, इकरार ए वफ़ा का नाम दो।