टूटे ख्वाबों को सजाना बहुत था।
कैद- ए-गम- ए- दिल में ही रहे,
यूं तो ज़िंदगी में वक़्त बहुत था।
दिल-ए-नादां अब बहलता नहीं,
इसे हमने ही बहकाया बहुत था।
एक ख्वाब जो गुम हुआ कहीं,
जब मिला तो अजनबी बहुत था।
हो गया परिंदा लकीरों के हवाले,
याद नसीब ने उसे रखा बहुत था।
जहन में उठते हैं जो कई सवाल,
जवाब होता तो एक ही बहुत था।
"सच" उठता रहा जो धुआँ हर बार,
अश्कों की नमी में वो गीला बहुत था।
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ek jawab hi hota to bahut tha ... bahut badhiyaa
जवाब देंहटाएंहो गया परिंदा लकीरों के हवाले,
जवाब देंहटाएंयाद नसीब ने उसे रखा बहुत था।
बहुत खूब ..बेहतरीन प्रस्तुति ।
अश्कों नमी में वो गीला बहुत था ...कभी कभी सत्य भी इतना मजबूर हो जाता है । बेहतरीन अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंपूरी गजल बहुत सुन्दर है..
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ..बेहतरीन प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंnice, i like it very much.
जवाब देंहटाएंबहुत ख़ूबसूरत गज़ल..
जवाब देंहटाएंएक उम्दा गज़ल। शुभकामनाएॅ।
जवाब देंहटाएंहो गया परिंदा लकीरों के हवाले,
जवाब देंहटाएंयाद नसीब ने उसे रखा बहुत था।
बेहतरीन गज़ल....
बेहतरीन एवं उम्दा!!
जवाब देंहटाएंयह दौर भी कम हसीन नहीं होता.
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा!
जवाब देंहटाएंमहाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएँ!
wow.... very nice word's.... like it
जवाब देंहटाएंVisit plz Friends.....
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गजल का हर शेर उम्दा है ! आभार ! बिल्कुल सही कहा है आपने सवाल हजारों हो पर जवाब एक ही बहुत है !
जवाब देंहटाएंजहन में उठते हैं जो कई सवाल
जवाब देंहटाएंजवाब होता तो एक ही बहुत था
अच्छा शेर
ख़्वाब गुम हो जाते हैं और जब दुबारा मिलते हैं तो अजनबी जैसे लगते हैं।
जवाब देंहटाएंबढ़िया ग़ज़ल।
वह कमाल की ग़ज़ल है साहब ... दुनियादारी नज़र आती है हर शेर में ... लाजवाब ...
जवाब देंहटाएंएक ख्वाब जो गुम हुआ कभी
जवाब देंहटाएंजब मिला तो अजनबी बहुत था....
अर्थवान पंक्ितयां हैं..बधाई कि आपको सूझीं।
जहन में उठते हैं जो कई सवाल
जवाब देंहटाएंजवाब होता तो एक ही बहुत था
बहुत खूब ....!!
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंबेहतरीन गज़ल...
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