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माँ Maa Short Story Hindi


एक रात रामप्रसाद का अपनी माँ से किसी बात को लेकर मनमुटाव हो गया। गुस्से में आकर रामप्रसाद ने खाना खाने से मना कर दिया। रामप्रसाद ने सोचा की माँ दो तीन बार कहेगी तो खा लूँगा। लेकिन उस रात माँ ने दुबारा खाना खाने के लिए नहीं पूछा।

रात के ग्यारह बजने को आए थे। रामप्रसाद ने देखा की माँ के कमरे से उजाला नहीं आ रहा है....सोचा  शायद वो खाना खाकर सो गई है।

रामप्रसाद के पेट में आज वाकई चूहे दौड़ने लगे थे। जब सोने के सारे प्रयास असफल हो गए तो रामप्रसाद ने भोजन करना ही उचित समझा।

जब राम प्रसाद रसोई में खाना थाली में डाल रहा था तो सोच रहा था की माँ तो खाना खाकर मजे से सो रही है वो ही भूखा रह गया।

तभी माँ के कमरे से आवाज आई "बेटे थाली यहीं लेकर आ जा मैं भी तेरे साथ ही खा लूँगी।"

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