इक रोज ये नीरस जिंदगी बीत जायेगी,
सूनी रातों की तन्हा चाँदनी रीत जायेगी।
सूनी रातों की तन्हा चाँदनी रीत जायेगी।
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कोई बात न कर उसकी बेवफाई की यहाँ,
है वो मेरी कहानी साथ मेरे बीत जायेगी।
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इक दिल ही तो था टूट कर बिखर गया,
जोड़ने में इसको उमर सारी बीत जायेगी।
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लगता है आज वो गरीबी मेरे नसीब की,
दुश्मनी नसीब की देखूं कहाँ बीत जायेगी।
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इक दिल ही तो था टूट कर बिखर गया,
जोड़ने में इसको उमर सारी बीत जायेगी।
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लगता है आज वो गरीबी मेरे नसीब की,
दुश्मनी नसीब की देखूं कहाँ बीत जायेगी।
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"सच" पिघल जाएगा पत्थर दिल इक रोज,
हाँ तासीर-ऐ-अश्क इक रोज जीत जायेगी।
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निवेदन है की कहानी घर पर
पधार कर अपनी अमूल्य राय से अवगत करवाएं। कहानी घर का लिंक इमेज में दिया गया है-आभार ।

☺☺☺
पधार कर अपनी अमूल्य राय से अवगत करवाएं। कहानी घर का लिंक इमेज में दिया गया है-आभार ।

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अरे कमाल का लिखा है आज तो……………मेरे पास तो शब्द कम पड गये है तारीफ़ के लिए
जवाब देंहटाएंबहुत खूबसूरत अंदाज़ में पेश की गई है पोस्ट
जवाब देंहटाएंस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं….!
जय हिंद जय भारत
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very nice
जवाब देंहटाएंबहुत खुबसूरत....
जवाब देंहटाएंसादर...
good very nice
जवाब देंहटाएंआप सभी का तहेदिल से आभार !
जवाब देंहटाएंSunder Panktiyan
जवाब देंहटाएंGreat couplets. Presented beautifully.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ... लाजवाब गज़ल है ... मज़ा आ गया ...
जवाब देंहटाएंसार्थक रचना....
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति !
जवाब देंहटाएंतस्वीर भी बहुत कुछ कह रही है !
आभार !
ati sundar...
जवाब देंहटाएंhar sher umda.