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आरोग्यवर्धिनी वटी फायदे और उपयोग Arogyavardhini Vati Benefits and Uses Hindi

आरोग्यवर्धिनी वटी फायदे और उपयोग Arogyavardhini Vati Benefits and Uses Hindi

आरोग्यवर्धिनी वटी फायदे और उपयोग Arogyavardhini Vati Benefits and Uses Hindi

आयुर्वेदिक ओषधि भले ही समय ले लेकिन परिणाम स्थाई देती हैं। आरोग्यवर्धिनी से आशय है जो आरोग्य दे और रोगों को दूर करे, स्वास्थ्य को जो बढाए। वटी से आशय टेबलेट से है। आयुर्वेदिक ओषधि कई प्रकार के रोगों को दूर करने के अतिरिक्त पाचन-तंत्र को दुरुस्त करने, त्वचा विकारों, रक्त विकार, मूत्र रोग, कुष्ठ रोग के इलाज में भी लाभकारी है। आज के इस लेख में हम आरोग्यवर्धिनी वटी की खुराक, सेवन से लाभ और इसके घटक के बारे में विस्तार से जानेंगे।आयुर्वेद में आरोग्यवर्धिनी सम्बन्धी विवरण :-
 
रसगन्धकलोहाभ्रशुल्वभस्म समांशकम्।
त्रिफला द्विगुणा प्रोक्ता त्रिगुणं च शिलाजतु।।

चतुर्गुणं पुरं शुद्धं चित्रमूलञ्च तत्समम्।
तिक्ता सर्वसमा ज्ञेया सर्वं सञ्चूर्ण्य यत्नत।।
निम्बवृक्षदलाम्भोभि मर्दयेद्द्विदिनावधि।
ततश्च वाटिका कार्या क्षुद्रकोलफलोपम़ा।।
मण्डलं सेविता सैषा हन्ति कुष्ठान्यशेषत।
वातपित्तकफोद्भूताञ्ज्वरान्नाना विकारजान्।।
देया पञ्चदिने जाते ज्वरे रोगे वटी शुभा।
पाचनी दीपनी पथ्या ह्द्या मेदोविनाशिनी।।
मलशुद्धिकरी नित्यं दुर्धर्षं क्षुत्प्रवर्तिनी।
बहुना।त्र किमुक्तेन सर्वरोगेषु शस्यते।।
आरोग्यवर्धनी नाम्ना गुटिकेयं प्रकीर्तिता।
सर्वरोगप्रशमनी श्रीनागार्जुनचोदिता।। र.र.स. 20/87-93


आरोग्यवर्धिनी वटी फायदे और उपयोग Arogyavardhini Vati Benefits and Uses Hindi
 

आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे /लाभ Arogyavardhini Vati Benefits

आरोग्यवर्धिनी शरीर को कई प्रकार के रोगों से मुक्त करती है और इसे
आरोग्यवर्धिनी वटी, आरोग्यवर्धिनी गुटिका, आरोग्यवर्धिनी रस, सर्वरोगहर वटी आदि नामों से जाना जाता है। आरोग्यवर्धिनी को जिस क्लासिकल मेथड से तैयार किया जाता है उस पर एक अध्ययन से स्पष्ट होता है की यह ओषधि शरीर को कई प्रकार के रोगों से मुक्त करती हैं। ()

पारम्परिक रूप से आयुर्वेदिक ओषधि वात, कफ और पित्त के बेलेंस पर आधारित है। आरोग्यवर्धिनी वटी त्रिदोष पर काम करके पाचन विकार, त्वचा विकार, रक्त विकार को दुरुस्त करने में सहायक होती है। आइये निचे जान लेते हैं की आरोग्यवर्धिनी वटी किन किन विकारों में लाभकारी होती है।
 

मोटापा दूर करने में सहायक

आरोग्यवर्धिनी वटी के सेवन से मोटापा दूर होता है। यह पाचन को दुरुस्त कर कब्ज विकार को हटाती है जिससे व्यक्ति आसानी से मल त्याग करता है।  कब्ज दूर होने से मोटापा भी दूर होता है। यह ओषधि metabolis को नियंत्रित करती है। इनडाइज़ेशन की समस्या भी मोटापे का एक कारण है। इस ओषधि के दीपन (appetizer) और पाचक (digestive) प्रभावों के कारण यह मल त्याग को आसान बना देती है और मोटापा बढ़ता नहीं है।
 

पाचन क्रिया को पुष्ट करने में लाभकारी

आरोग्यवर्धिनी वटी (divya arogya vati) त्रिदोष को दूर कर पाचन क्रिया को दुरुस्त करने में सहायक होती है। इसके सेवन से कब्ज दूर होता है और भूख में वृद्धि होती है। मल त्याग में आसानी होती है और गैस की समस्या भी दूर होती है। पारम्परिक रूप से आरोग्यवर्धिनी का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में दस्त, कब्ज और अपच जैसी पुरानी पेट के विकारों के उपचार के लिए किया जाता है। इस ओषधि के दीपन और पाचन गुणों के कारण यह पाचन तंत्र को मजबूत करने में उत्तम परिणाम देती है।
 

त्वचा रोग में आरोग्यवर्धिनी वटी के लाभ

आरोग्यवर्धिनी वटी के सेवन से त्वचा की एलर्जी, झुर्रियां आदि को दूर कने में लाभ मिलता है। पीव वाले त्वचा रोग में यह वटी लाभकारी है।

मूत्र विकारों के इलाज में आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे

मूत्र विकारों के इलाज में आरोग्यवर्धिनी वटी बहुत ही लाभकारी होती है। अन्य मूत्र विकारों के साथ ही इस ओषधि से मूत्र मार्ग की सुजन कम करने में सहायता मिलती है। 

जीर्ण ज्वर के निदान में लाभकारी

क्रोनिक या जीर्ण ज्वर के उपचार में भी आरोग्यवर्धिनी वटी गुणकारी होती है।  दीपन और पाचन के गुणों के कारण यह ज्वर को शांत करती है। 

ग्रहणी विकार में गुणकारी Benefits in Irritable Bowel Syndrome (IBS)

गृहणी विकार (इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) में भी इस ओषधि से लाभ मिलता है . खाना खाने के तुरंत बाद पेट में उठने वाले मरोड़ में आराम मिलता है और बार बार सोच जाने की इच्छा शांत होती है. इसके अतिरिक्त इस ओषधि के सेवन से शरीर में पित्त संतुलित होता है और पेट हल्का महसूस होता है। बिना पचा भोजन पेट में नहीं रहता है, अतः यह ओषधि कब्ज को दूर कर पाचन को भी बेहतर करता है जिससे गृहणी विकार में लाभ मिलता है।

आरोग्यवर्धिनी वटी के अन्य लाभ/फायदे

  • इस ओषधि के सेवन से पोषक ग्रंथियों के विकार दूर होते हैं।
  • बड़ी आंत और छोटी आंत से से सम्बंधित विकारों को दूर करने में सहायक है।
  • रक्त विकारों को दूर करने में लाभकारी है।
  • कुष्ठ रोग में आरोग्यवर्धिनी वटी के सेवन से लाभ मिलता है।
  • ह्रदय विकार में फायदेमंद है आरोग्यवर्धिनी वटी। 
  • इस ओषधि के सेवन से पित्त संतुलित होता है और कफ के बेलेन्स होने से कील मुहासों में सुधार होता है।  
  • एनोरेक्सिया या भूख न लगने के रोग में भी आरोग्यवर्धिनी वटी लाभकारी होती है। यह ओषधि त्रिदोष को शांत करके भूख में वृद्धि करती है। 
  • आरोग्यवर्धिनी वटी आँव को दुरुस्त कर पाचन को सुधारने में भी सहायक होती है। 
  • एनीमिया /पांडु रोग में भी यह ओषधि सहायक होती है। पित्त के नियमित होने से रक्त की कमी विकार में सुधार होता है। 
  • इस ओषधि के सेवन से शरीर के विषाक्त प्रदार्थ बाहर निकलते हैं और शरीर डिटॉक्सिफाई (detoxify) होता है। 
  • आरोग्यवर्धिनी वटी उत्तम रसायन उत्तम पाचन, दीपन, गुणों वाली ओषध है। 
  • यकृत प्लीहा, बस्ति, वृक्क, गर्भाशय, आन्त, हृदय के विकारों में लाभकारी है। 
  • मेद (चर्बी) कम करने के लिए यह ओषधि गुणकारी है। 
  • कब्ज दूर कर मलावरोध को दूर करने में सहायक है।

आरोग्यवर्धिनी वटी की खुराक How to Uses Arogyavardhini Vati

पतंजलि आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग चिकित्सक की सलाह के उपरांत करना चाहिए। इसे दो गोली खाने (250-500 मिली ग्राम) के उपरान्त लेना चाहिए / चुसना चाहिए। Arogyavardhini Vati Tablet - 1 tablet twice a day or as directed by the physician
 

आरोग्यवर्धिनी वटी के साइड इफेक्ट्स Precautions and side effects in Hindi

आरोग्यवर्धिनी वटी का सेवन सामान्यतः सुरक्षित माना जाता है लेकिन फिर भी आप निम्न बातों का अवश्य ही ध्यान रखें -
  • आरोग्यवर्धिनी वटी के सेवन से पूर्व वैद्य की सलाह अवश्य ही प्राप्त कर लेनी चाहिए।
  • इस ओषधि के अनियमित सेवन से पेट दर्द/गैस्ट्राइटिस हो सकता है।
  • इस ओषधि के घटक भस्म होने के कारण गेट में गर्मी, कब्ज हो सकता है।
  • किडनी या हार्ट प्रॉब्लम के पेशेंट को इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • छोटे बच्चों और गर्भवती/स्तनपान युवतियों को इसका सेवन बिना चिकित्सक की सलाह के नहीं करना चाहिए।  
  • आरोग्यवर्धिनी वटी को चिकित्सक की देखरेख में ही लिया जाना चाहिए।

आरोग्यवर्धिनी वटी को कहाँ से खरीदें Where to buy Arogyavardhini Vati

आरोग्यवर्धिनी वटी ओषधि को आप पतंजलि स्टोर या नजदीकी आयुर्वेदिक मेडिकल स्टोर से खरीद सकते हैं। इसे आप 1mg पोर्टल से भी (Arogyavardhini Vati Patanjali) खरीद सकते हैं।
 

आरोग्यवर्धिनी वटी के घटक Composition of Arogyavardhini Vati

  • पारद ( Mercury)
  • गन्धक (Sulphur)
  • लोह भस्म
  • अभ्रक भस्म
  • ताम्र भस्म
  • हरीतकी (Terminalia chebula Retz.)
  • फल मज्जा
  • विभीतकी (Terminalia bellirica Roxb.)
  • फल मज्जा
  • आमलकी (Emblica officinalis Gaertn.)
  • फल मज्जा
  • शिलाजतु/शिलाजीत.
  • फल मज्जा
  • गुग्गुल निर्यास (Guggul)
  • चित्रक (Plumbago zeylanica Linn.)
  • कुटकी (Picrorhiza kurroa Royle ex Benth)
  • नीमपत्र के रस (Azadiracta indica Linn.)

आरोग्यवर्धिनी वटी के इंग्रेडिएंट की सामान्य जानकारी Arogyavardhini Vati Ingredients

शिलाजीत (Asphaltum)

शिलाजीत शक्तिवर्धक ओषधि है जिसे एक तरीके से पहाड़ों का पसीना भी कहा जाता है। यह काले रंग का एक चिपचिपा प्रदार्थ होता है जो प्राकृतिक रूप से पहाड़ों की ऊंचाइयों में दरारों में पाया जाता है। यह वनस्पतियों के अपघटन से स्वतः ही बनता है। शिलाजीत का उपयोग पारम्परिक आयुर्वेदिक ओषधियों में किया जाता है। शिलाजीत पुरुष शक्ति के विकास को बढ़ाती है और शरीर की सामान्य कमजोरी को भी दूर करने में शिलाजीत लाभकारी होती है। इसमें विभिन्न पोषक तत्व होते हैं जो आयरन की कमी को दूर करते हैं। इसके पोषक तत्व अल्जाइमर रोग में भी गुणकारी होते हैं।  प्रतिरक्षा प्रणाली को दुरुस्त करके यह समग्र शक्ति का विकास करता है। सूजन को कम करने, मधुमेह, कैंसर से बचाव में भी यह गुणकारी होती है। अनिंद्रा और स्पर्म काउंट में भी यह गुणकारी है।

गुग्गुल (Guggul)

गुग्गुल के नाम से हम सभी परिचित हैं क्योंकि विभिन्न ओषधियों के निर्माण में इसका उपयोग घटक के रूप में किया जाता है। गुग्गल के तने से एक चिपचिपा रस निकलता है जो सूखने पर ठंडा हो जाता है। गुग्गुल की तासिर गर्म और स्वाद कटु होता है। गुग्गलु वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करने वाला, शक्ति वर्धक, स्पर्म काउंट को बढ़ाने वाला होता है। गुग्गलु त्वचा विकार, कमजोरी दूर करने वाला, हृदय को शुद्ध करने वाला होता है। 
 
आरोग्यवर्धिनी वटी के निम्न विकारों में उपयोग किया जाता है :-
  • हृदय रोग
  • सूजन
  • पाण्डु रोग
  • जलोदर विकार
  • मंदाग्नि
  • अजीर्ण
  • कुष्ठ रोग  

आरोग्य वटी को घर पर कैसे बनाएं How To Make Aarogyavati at Home

आरोग्यवटी को आप घर पर आसानी से बना सकते हैं, आयुर्वेदा टेक्स्ट के अनुसार आप निम्न औषध सामग्री को लें
  • शुद्ध पारा | Mercury (Hg) 1 तोला
  • शुद्ध गन्धक | Sulphur (S) 1 तोला
  • लौह भस्म | Ferric Oxide (Fe2O3) 1 तोला
  • अभ्रक भस्म | Mica Oxide (SiO2 1 तोला
  • ताम्र भस्म | Copper Oxide (CuO) 1 तोला
  • हरड़ | Terminalia chebula (L.) Retz.2 तोला
  • बहेड़ा | Terminalia bellirica (Gaertn.) Roxb.2 तोला
  • आँवला | Emblica officinalis Gaertn. 3 तोला
  • शुद्ध शिलाजीत | Shilajit 3 तोला
  • शुद्ध गुग्गुलु | Commiphora mukul (Hook. f. & Thomson) Engl.4 तोला
  • चित्रकमूल छाल | Plumbago zeylanica L.4 तोला
  • कुटकी | Picrorhiza kurroa Royle ex Benth.20 तोला
इस ओषधि को बनाने के लिए आप सर्वप्रथम पारद गन्धक की कजली बना लें और सभी भस्म और शुद्ध शिलाजीत और शेष द्रव्यों को पीस कर चूर्ण बनाकर महीन छान लें। अब नीम की ताज़ी पत्तियों के रस में इसकी 2 रत्ती की गोली बनाकर स्टोर करें।


सामान्य रूप से पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs

प्रश्न: आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग किन विकारों के लिए किया जाता है ?

उत्तर: आरोग्यवर्धिनी वटी का सामान्य रूप से कमजोरी दूर करने, पाचन को सुधारने, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए किया जाता है। यह ओषधि रेचक और कृमिनाशक होती है।  

प्रश्न: क्या आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग सुरक्षित है?

उत्तर: आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग सामान्य रूप से सुरक्षित है, लेकिन इसके उपयोग से पूर्व चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।

प्रश्न: आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग कैसे करें?

उत्तर: आरोग्यवर्धिनी वटी की सामान्य मात्रा 120-500 मिलीग्राम होती है, लेकिन फिर भी इसके उपयोग से पूर्व चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए। 

आरोग्यवर्धिनी वटी से सम्बंधित पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न: आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग किस लिए किया जाता है?

उत्तर: आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग वात विकार, पाचन में सुधार अजीर्ण आदि विकारों के लिए किया जाता है।

प्रश्न: आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग सुरक्षित है?

उत्तर: आरोग्यवर्धिनी वटी का उपयोग 100% सुरक्षित है लेकिन इसका उपयोग करने से पहले वैद्य की सलाह लेना आवश्यक है।


सन्दर्भ / Source
Pal S, Ramamurthy A and Mahajon B. Arogyavardhini Vati: A theoritical analysis. J Sci Innov Res 2016; 5(6): 225-227.External Link (Link)

Kumar G, Srivastava A, Sharma SK, Gupta YK. Safety evaluation of an Ayurvedic medicine, Arogyavardhini vati on brain, liver and kidney in rats. J Ethnopharmacol. 2012 Mar 6;140(1):151-60.External Link (Link)
 
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