हरि हैं राजनीति पढ़ि आए हिंदी मीनिंग Hari Hain Rajniti Padh Aaye Meaning
हरि हैं राजनीति पढ़ि आए हिंदी मीनिंग Hari Hain Rajniti Padh Aaye Meaning : Soordas Pad
हरि हैं राजनीति पढ़ि आए।
समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
हरि हैं राजनीति पढ़ि आए हिंदी मीनिंग Hari Hain Rajniti Padh Aaye Meaning : Soordas Pad
हरि हैं राजनीति पढ़ि आए।समुझी बात कहत मधुकर के, समाचार सब पाए।
इक अति चतुर हुते पहिलैं ही, अब गुरु ग्रंथ पढ़ाए।
बढ़ी बुद्धि जानी जो उनकी, जोग-सँदेस पठाए।
ऊधौ भले लोग आगे के, पर हित डोलत धाए।
अब अपनै मन फेर पाइहैं, चलत जु हुते चुराए।
ते क्यौं अनीति करैं आपुन, जे और अनीति छुड़ाए।
राज धरम तौ यहै ‘सूर’, जो प्रजा न जाहिं सताए।
हिंदी भावार्थ : गोपी श्री कृष्ण जी के विरह में व्याकुल होकर उद्धव जी से कहती हैं की कृष्ण/हरी ने राजनीति का पाठ पढ़ लिया है। वे छल और कपट का व्यवहार करने लगे हैं। श्री कृष्ण जी मधुकर (उद्धव) जी के माध्यम से सन्देश भिजवा रहे हैं। एक तो वे पहले से ही बहुत चतुर थे और ऊपर से उन्होंने राजनीति के ग्रन्थ पढ़ डाले हैं। कृष्ण जी की बुद्धि में प्रसार हुआ है की वे योग का सन्देश भिजवा रहे हैं।
वे उद्धव से कहती हैं की पहले के लोग बहुत भले लोग होते थे, वे परहित, अन्य लोगों की भलाई के लिए डोलते थे। अब तो लोग (श्री कृष्ण जी की भाँती ) लोगों का मन चुरा के फिरते हैं। ऐसे लोग क्या राजनीति कर पायेंगे / करते होंगे जो स्वंय अनीति करते हैं वे दूसरों की अनीति कैसे छुडायेंगे ? राजधर्म तो वही होता है जहाँ पर प्रजा को कोई कष्ट ना हो।
इस पद में गोपियाँ उद्धव पर व्यंग्य करते हुए कहती हैं कि श्रीकृष्ण अब राजनीति शास्त्र के ज्ञाता हो गए हैं, व्यंग्य है की वे तो ज्ञानी हो गए हैं। वे गोपियों को योग-साधना का संदेश भेजकर उन्हें अपनी चतुराई दिखा रहे हैं। गोपियाँ मानती हैं कि पहले के लोग कितने भले और सज्जन होते थे जो दूसरों के हित के लिए बराबर घूमते-फिरते थे। लेकिन कृष्ण तो दूसरे के मन को चोरी किए फिरते हैं। वे क्या नीति और धर्म का पालन करते होंगे जो दूसरे को अच्छी नीति से हटाकर बुरी नीति पर लगाना चाहते हैं।