एक बार जैसी आदत घर कर ले तो छूटती बड़ी ही मुश्किल से है। अगर सुधार कर भी लिया जाये तो कहीं ना कहीं पहले वाली आदत मिक्स हुये बगैर नहीं रहती है। एक किस्सा सुनिए जो इसका प्रमाण भी है और दिलचस्प भी।
एक बार स्टेट रोडवेज ने अपने कंडेक्टरों को कुछ "सिविलाईज्ड" करने की सोची। रोज की किक झिक, माथा पच्ची में शायद वो सभ्य तरीके से बात करना ही भूल गए थे। इसलिए एक विशेष ट्रेनिंग कैंप का आयोजन किया गया, जिसमें आम यात्रियों से सभ्य तरीके से पेश आने का हुनर सिखाया गया।
उन्हे सिखाया गया की बस में चढ़ते ही सबसे पहले उन्हे कहना होगा "वैल कम" बाद में उन्हे जो भी कहना हो "इक्सक्यूज मी" लगाकर कह सकते हैं।
ट्रेनिंग कैंप खत्म हो गया। सभी कंडेक्टर सिखाये गए तरीके याद करने को दे दिये गए और अपने अपने मार्ग पर भेज दिया गया।
एक कंडेक्टर ने सिखाये गए सभ्य तरीके कुछ यूं काम में लिए:-
उसकी बस में एक बूढ़ा व्यक्ति चढ़ा, शायद उतरने वाला स्टेशन छूट ना जाये इसी चिंता के कारण वो दरवाजे पर ही खड़ा हो गया। इस पर कंडेक्टर ने उससे पीछे खाली सीट पर जाने को ऐसे कहा :-
" ओए वेल कम डोकरे, पीछे सारी बस खाली पड़ी है................इक्सक्यूज मी सर.......मेरी छाती पर ही खड़ा रहेगा क्या?..............जा पीछे को मर ले...."







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