देखों, बादल आए हैं Dekho Badal Aaye Hain Poem
देखों, बादल आए हैं,
बरस कर जलाने को,
भटक रहें, ढूंढते किसी को,
जान बूझ कर भिगोने को,
बेशक काले हैं,
मगर दिल से नहीं,
आदमी की तरह,
अहसान फरामोश नहीं,
जो रोज बटोरता है,
मगर बांटता कुछ नहीं,
किसी कवि कि तरह,
दिल में इनके भी,
टिकता कुछ नहीं,
आवारा हैं,
शायद चल पड़े,
अभी तुम्हारे शहर को,
हो सके तो,
कुछ तुम्हारे बारे में,
इनको बताना,
जिस के सहारे,
कट जाये नीरस ज़िंदगी,
इनको बताना,
मुझे यकीन है,
ये फिर आएंगे,
अगले साल,
तुम्हारे बारे में,
मुझे बता देंगे,
तुम्हारा दिया,
सब लौटा देंगे।