तेरे इस बेजान बाबू की नौकरी Tere Is Bejan Babu Ki Nokari Poem
रोज बात बात पर,
नई फाइल,
पुरानी को कोसती है,
पुरानी फाइल जिसकी,
गुम हुई पहचान,
अलमारी में भी,
मन ही मन,
अपना कसूर तलाशती है,
नयी रौब से कहती,
मैं, "रीक्र्यूट्मेंट" फाइल,
"सैलरी फाइल" की साली हूँ,
मुजसे डर क्योंकि,
मैं, रोज बड़े साहब से,
मिलकर जो आती हूँ,
तू ठहरी पुरानी फाइल,
राज भाषा हिन्दी वाली,
बीत चला तेरा वक़्त,
"बापू" की तरह,
मुजमें गर्मी देख,
"हरे" की तरह,
तूने कभी कडक नोट पर,
क्या, बापू की मुस्कुराहट देखी है,
एक बात और,
तेरे उस बाबू से,
जिसकी गर्दन बंधी है,
रद्दी की टोकरी से,
जिंदगी रेंगती जिसकी,
बैंक के उधार से,
नौकरी उसकी बस,
मेरे साहब की कलम से,
मेरी शिकायत करने की,
भूल मत करना
वरना....................................,
मेरी पहुँच ऊपर तक,
तेरे इस बेजान बाबू की नौकरी,
मैंने बड़े सस्ते में जाते देखी है।
◘◘◘
◘◘◘