Liked

16.12.10

Pin It

लघु कथा.....




चाय के ढाबे पर देश की बिगड़ती वर्तमान स्थिति और बाबा रामदेव की देशभक्ति पर चर्चा चल रही थी । एक सज्जन ने जो उस क्षेत्र की तथाकथित ऊंची जाती से संबंध रखता था,  कहा की सबको इस बार बाबा रामदेव की पार्टी के उम्मीदवार को ही वोट देना चाहिए, आम नागरिक सही व्यक्ति को नहीं चुनती है, इसलिए वो स्वय देश की दुर्दशा के लिए जिम्मेदार है।

रामप्रसाद वहीं बैठा उनकी बात सुन रहा था। राम प्रसाद ने कहा की भ्रष्ट लोगों के चयन के पीछे "जातिवाद" भी एक कारण है।

सज्जन व्यक्ति ने ने तुरंत ही कहा की नहीं-नहीं ऐसा तो बिलकुल भी नहीं है, सभी लोग स्वतन्त्र हैं एंव किसी को भी वोट दे सकते हैं।

रामप्रासाद ने सज्जन व्यक्ति से पूछा  "यदि एक ओर आपकी जाति (तथाकथित ऊंची जाति)  का उम्मीदवार हो और दूसरी और बाबा रामदेव की पार्टी का नीची जाति (तथाकथित) का उम्मीदवार, तो आप किसे वोट देंगे?"

सज्जन व्यक्ति ने जितना समय उत्तर सोचने में लगाया उससे रामप्रसाद को  "वास्तविक उत्तर"  का पता चल चुका था, साथ ही रामप्रसाद ने यह भी भांप लिया की चाय वाला भी सोच रहा था की "ये सिरफिरा कहाँ से उसकी दुकानदारी चौपट करने आ धमका है।"

If you enjoyed this post and wish to be informed whenever a new post is published, then make sure you Subscribe to regular Email Updates
मेरे बारे में...
रहने वाला : सीकर, राजस्थान, काम..बाबूगिरी.....बातें लिखता हूँ दिल की....ब्लॉग हैं कहानी घर और अरविन्द जांगिड कुछ ब्लॉग डिजाईन का काम आता है Mast Tips और Mast Blog Tips आप मुझसे यहाँ भी मिल सकते हैं Facebook या Twitter . कुछ और

यदि यह आपको उपयोगी लगता है तो कृपया इसे साँझा करें !
Technorati Digg This Stumble Stumble Facebook Twitter
साँझा करें Share It Now !
StumpleUpon DiggIt! Del.icio.us Blinklist Yahoo Furl Technorati Simpy Spurl Reddit Google Twitter FaceBook

Comments
11 Comments
11 टिप्पणियां:
  1. सही लिखा आपने.यही सब विडंबनाएँ हैं.

    जवाब देंहटाएं
  2. The difference between the mass and the individual. The situation will always remain same till the indifference of the intellectual group changes. The political apathy and the untouchablility needs to end. There is no mechanism of evaluating a good political representative. The public as a mass unit has been deprived for long, and hence has not been educated to a level, where it can differentiate and decide what is right and wrong. In the absence of subjectiveness and also objectiveness in the evaluation criteria, the politicians lead the mass astray with religious and caste considerations.

    जवाब देंहटाएं
  3. "ये सिरफिरा कहाँ से उसकी दुकानदारी चौपट करने आ धमका है।"
    ... bahut khoob ... behatreen !!!

    जवाब देंहटाएं
  4. प्रेरक लघुकथा!
    सोचने को बद्य करती हुई!

    जवाब देंहटाएं
  5. जागिड जी मुझे लगता है की लघु-कथा थोड़ा पथ भटक गई है ! जब सज्जन इंसान जोकि आपकी कथानुसार ऊँची जाति का था, और बाबा रामदेव (कथानुसार तथाकथित नीची जाति) को वोट देने की वकालत खुद ही कर रहा है तो रामप्रसाद को तो ऐसा सवाल ही नहीं करना चाहिए था ! क्योंकि अगर वह इतना जातिवादी होता तो पहले क्यों रामदेव को वोट देने का बात कहता ? अगर मैं कुछ गलत समझ रहा हूँ तो अग्रिम क्षमा !

    जवाब देंहटाएं
  6. अब एक सवाल आप से और ब्लॉग जगत के तमाम मित्र गणों से;

    आप लोग रोज अक्सर समाचार पत्रों की हेड लाइनों में पढ़ते होंगे ;

    " दलित युवक की पिटाई ", "दलित महिला के साथ बलात्कार", दलित युवती के साथ छेड़छाड़ ..... इत्यादि लेकिन पिछले काफी समय से आप लोग भी नोट कर रहे होंगे की देश में जो भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है ! उसमे अधिकाँश तथाकथित दलित नौकरशाह और नेता ही मुख्यत : संलिप्त है ! आपने कभी अखबारों में ऐसी हेडिंग पढी ; दलित जज भर्ष्टाचार में संलिप्त, दलित नौकरशाह ने इतने का घोटाला किया , दलित नेता देश का १.७६ लाख करोड़ खा गये ? यदि नहीं तो क्यों ? क्या यह भी एक तरह का जातिवाद और रंगभेद नहीं है ?

    जवाब देंहटाएं
  7. अरविंद जी, आपकी लेखनी को प्रणाम करता हूँ, वाकई दिल को छू जाने वाले भाव परोसे हैं आपने।

    ---------
    प्रेत साधने वाले।
    रेसट्रेक मेमोरी रखना चाहेंगे क्‍या?

    जवाब देंहटाएं
  8. @ पी सी गोदियाल जी, सादर नमस्कार,

    देखिये भ्रष्टाचार चाहे कोई भी करे, चाहे दलित हो या फिर कोई और, घोर निंदा का विषय है और सजा का हकदार भी. मैं आपको बताना प्रासंगिग समझता हूँ की मैंने मेरे ताऊ जी का भी भ्रष्टाचार उजागर किया है. इसमें कौनसी बुरी बात की, ये अलग बात है की मेरे सभी रिश्तेदारों ने इसका जमकर विरोध किया, मुझसे कोई बात नहीं करता है. खैर वो उनके सोचने का तरीका है. मेरा जीवन में उद्देश्य है की जितने लोगों के मैं संपर्क में आता हूँ यदि उनमें किसी भी प्रकार का, भष्टाचार, उदहारण के लिए सरकारी कार्य समय पर पूरा ना करना, आदि का विरोध करता हूँ, इसमें मुझे सफलता मिली है, कम से कम मेरी आत्मा पर से तमाम तरह के बोझ दूर हो गए हैं, मेरे लिए इससे बढ़कर प्रशन्नता का विषय कोई दुसरा नहीं है. आशा है की आप मेरे विचारों से सहमत होंगे.

    एक बात और चाय के ढाबे पर बैठा व्यक्ति नहीं चाहता था की बाबा रामदेव किसी दलित को चुनाव में उतारें.

    कथा का यदि आशय स्पष्ट नहीं हो पाया है तो मुझे माफ कीजिये, इस की पुनरावृति नहीं होगी.

    आपका साधुवाद.

    जवाब देंहटाएं

Feed Burner Updates

My tips & Tricks

Facebook

People Found Useful Blog Tips at MBT

Support Me !

Support Me By Adding MBT Badge On Your Respective Blog.

 
website-hit-counters.com

© 2010 - 2015. Arvind Jangid All Rights Reserved Arvind Jangid, Sikar, Rajasthan. Template by Mast Blog Tips | Back To Top |