"लाल बत्ती हूँ, कोई साइकिल वाला नहीं" Laal Batti Hu Saikilwala Nahi Poem Lyrics
आम अवाम सुनती है नेता को गौर से,
एक नेता है जो किसी की सुनता नहीं।
सुनता है जो भी नेता, आम अवाम की,
अगले चुनाव में फिर कभी दिखता नहीं।
सड़के हो चली क्यों वीरान अचानक ही,
नेता जी आ रहे हैं किसी का मातम नहीं।
भ्रष्टाचार केवल नेता ही क्यों न करे,
बचानी है कुर्सी कोई बच्चों का खेल नहीं।
हटा लोकतंत्री नियम कायदों की दुकान,
मैं लाल बत्ती हूँ कोई साइकिल वाला नहीं।
तुम नाहक ही लगा बैठे हो आस मुझसे,
जनाब मैं नेता हूँ कोई इंसान तो नहीं।
सुन लो भ्रष्टाचारियों आज "सच" कि भी,
खामोश खुदा के घर देर है अंधेर नहीं।
(क्रमशः)