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"एक रोज जाग जाएंगे सोये देवता" Ek Roj Soye Devata Poem Lyrics


नया कानून बना है संसद में,
सच बोलना भी अब भ्रष्टाचार है। 

जहां डाल डाल एक राजा बैठा,
ये तो हमारी भारत सरकार है। 

लड़ते हैं संसद में नेता हमारे,
खाते मिल बाँट अजीब तकरार है। 

श्रीमान कसूर वक़्त का नहीं,
हँडिया एक चमचे हजार हैं।

जागो देश हुआ खोखला अब तो,
गेहूँ कम घुनों की भरमार है

बच्चा पूछता अखबार देख पापा ये क्या,
बेटे तेरे काम की नहीं, ये खान निगार है।

पढ़ा की गरीबी छोड़ गई देश सदा को,
सुना की सरकार और अखबार में हुआ करार है। 

घर के पिछवाड़े पड़े बुड्ढे बतलाते आपस में,
चुप रहिए जी, इज्जत बुजुर्गों की अब तार तार है। 

सड़क पर लाश देख आँख मीच लेता,
आज का आदमी भी कितना लाचार है। 

कल एक आदमी सच बोल गया सरे आम,
छोड़िए जनाब उसकी तो बुद्धि ही खराब है। 

एक रोज जाग जाएंगे सोये देवता,
हमें बस अब इसी का इंतजार है।