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भर आया मेरा दिल गजल होकर Bhar Aaya Mera Dil Gajal Hokar Lyrics Poem


टूटा कोई ख्वाब अधूरा होकर,
गुजरा दिन आज खफा होकर।
रहता जो दिल में ही कहीं,
मिला आज अजनबी होकर।
परवाह तो ना थी कभी जमाने की ,
निकले तो तेरे आगे मजबूर होकर।
हैं हाथों में तो लकीरें बहुत,
गुजरी लेकिन तंगनज़र होकर।
"सच" हुआ यादों का दखल यूं,
भर आया मेरा दिल गजल होकर।
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