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कोई ज़ोर नहीं जिनका उन्हे लिखता देखिये Koi Jor Nahi Jinka Lyrics Poem


देश की रगों में भ्रष्टाचार दौड़ता देखिये,
खून पसीना स्विस में जमा होता देखिये। 
आज यहाँ कल वहाँ पर भी देखिये,
नेताओं की बेमिशाल खरगोशी देखिये।
मर्सिडीज में रफ़फूचक्कर बेईमानी देखिये,
साइकिल से पीछा करती ईमानदारी देखिये। 
आज सड़ रहा अनाज सारा गोदाम में देखिये,
जनाब रात कटती सारी जो भूख में देखिये। 
हर दिन बढ़ती यहाँ महंगाई को देखिये,
शरमाते तेरे मेरे यहाँ थैले को देखिये। 
प्लास्टिक का आटा पेटदर्द होता देखिये,
डॉक्टर को किडनी निकाल बेचता देखिये। 
चट मंगनी पट ब्याह को होता देखिये,
पंच पटेलों परसों तलाक को होता देखिये। 
ऐश से जीते चोर उचक्कों को देखिये,
इसकी टोपी उसकी टाट को देखिये। 
पहन भगवा नया ठगी मारते देखिये,
बाबा को नजर रक्षा कवच बेचते देखिये। 
रोज नए मंदिर का फीता काटते देखिये,
उनके ही ठेकों पर बर्बाद जवानी होते देखिये। 
पढे लिखे नौजवान की मजबूरी देखिये,
बारह सौ रियाल में मार उड़ारी देखिये
भाई सड़क पर पड़ी लाश को देखिये,
अरे! छाती पर पड़े पत्थर को देखिये। 
सब देखकर भी हम तुम चुप देखिये,
आज ज़बानों की अजीब तालाबंदी देखिये। 
जनाब आप सिर्फ अपना अपना देखिये,
किसके देश को चौराहे पर बिकता देखिये। 
कोई ज़ोर नहीं जिनका उन्हे लिखता देखिये,
कलम को गलियों में पागल फिरता देखिये। 
दूसरों की हर कमी निकाल कर देखिये,
थोड़ी तो अपनी चादर संभाल कर देखिये। 
उम्र चली बीत उनकी यादों में देखिये,
आज भी मेरे नसीब को बेपरवाही में देखिये। 

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