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21.2.11

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बिरजू जलैया




(सत्य घटना पर आधारित)


यह कहानी है बिरजू जलैया की। उस बिरजू की जिसके दादा,  पिता और कई रिश्तेदार भट्टे के लिए ईंट बनाते बनाते मिट्टी में समा गए। बिरजू की पत्नी राधा भी जलैया का काम करती थी। वह कई बार बिरजू से कहती थी की कहीं और नौकरी करना ठीक रहेगा। भट्टे वाले सिर्फ उनका शोषण करते हैं, उन्हे पूरी मजदूरी तक नहीं देते। बिरजू उसे भट्टे मालिक से चल रहे पुराने उधार का हवाला देकर चुप कर देता। एक दिन राधा काम करते करते अचानक बेहोश हो गयी। भट्टे से नीचे उतारते वक़्त उसने बीच में ही उसने दम तोड़ दिया। डाक्टर ने बताया की रात दिन भट्टे का धुएँ पीने से उसके फेफड़ों ने आखिरकार जवाब दे दिया।

राधा की याद के नाम पर बिरजू के पास बस उसकी एक पुरानी फोटो और आठ साल का बेटा 'माना' ही बचा था। बिरजू की बूढ़ी माँ अक्सर कहती थी की कम से कम 'माना' के लिए बिरजू को दूसरी शादी कर लेनी चाहिए, लेकिन बिरजू यह कहकर टाल देता था की दूसरी औरत 'माना' का ध्यान नहीं रखेगी।

बिरजू रात के वक़्त भट्टे पर बैठकर सोचा करता था की ये सेठ लोग ईंट बेचने के वक़्त बड़ी बड़ी गाड़ियों से आते हैं, और लाखों बटोर कर चले जाते हैं। दूसरी ओर उस जैसे मजदूर हैं जिनकी कई पीढ़ियाँ भट्टों से शुरू होती हैं और खत्म भी,  उनके घरों में रोटियाँ तक बननी मुश्किल हो आती हैं। अब बिरजू ने तय कर लिया था की अगले साल कहीं और काम ढूंढेगा और अपने बेटे 'माना' को स्कूल में पढ़ाएगा, जिससे कम से कम वह तो इस नरक से निकल सके।

दोपहर का वक़्त था, बिरजू भट्टे में जलावन डाल रहा था। अचानक उसके घर पर पड़ौसियों का जमावड़ा होने लगा । पता चला की बिरजू की माँ आज बिरजू को सदा के लिए अकेला छोड़ चली थी। बिरजू ने देखा की उसका बेटा भट्टे पर चढ़ कर बड़ी माँ.............बड़ी माँ...... चिल्लाता बिरजू की और दौड़ा चला आ रहा था।

अचानक बिरजू की आँखों से 'माना' औझल हो गया। माना के तेज दौड़ने से भट्टे की ऊपरी छत ढह चली और माना नीचे गरम लाल ईंटों में समा गया। बिरजू जानता था की वो चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता । बिरजू ने भट्टे की चिमनी से उठने वाले धुएँ की और देखा वो दूर कहीं आकाश में गुम हुये जा रहा था।

इन बातों को गुजरे कई साल बीत चुके हैं लेकिन बिरजू आज भी हर साल भट्टे में पहली आग डालने के वक़्त उसी भट्टे पर जाने कहाँ से  लौट आता है और चिमनी से निकलने वाले धुएँ को देखकर 'माना......माना' चिल्लाता है।

भट्टे वाले उसे देखते ही पागल पागल कहकर ईंटों से मारने दौड़ते हैं।
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जलैया -वह  मजदूर जो भट्टे में आग लगाता है और ऊपर घूम घूम कर सुराग से आग में घास फूस आदि जलावन डालता है।

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Comments
11 Comments
11 टिप्पणियां:
  1. आंसू आ गये... गरीबों की यही दशा है हर जगह.

    जवाब देंहटाएं
  2. अत्यंत मार्मिक कथा!

    इस समात में जहां स्टेटस मायने रखता है, जलैया जैसों के साथ इसी तरह का दुर्व्यवहार आए दिन होता रहता है।

    मन भर आया....

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत मार्मिक ...
    जाने कितने लोग है जो आइए ही पिसते रहते हैं पून्जिवादों की पूँजी के नीचे ...

    जवाब देंहटाएं
  4. मार्मिक सत्य कथा । ऐसे अनेक बिरजू हैं इस दुनिया में जो दुःख से कलप-कलप कर जी रहे हैं । हम सबकी यही कोशिश रहनी चाहिए कि गरीब कों उसके परिश्रम का पूरा पूरा मूल्य मिले । अगर हम अपने दिलों कों बस थोडा सा बड़ा कर लें तो गरीबों कों भी मुस्कुराने का एक मौका मिल सकेगा।

    जवाब देंहटाएं
  5. अत्यंत मार्मिक कथा...संवेदन शील रचना पढने के बाद निशब्द कर देती है..

    जवाब देंहटाएं

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