ये कलम तो एक बहाना है Ye Kalam To Ek Bahana Poem
हमराही छोड़ चले बेवजह यू ही रूठकर,
मेरी मुफ़लिसी तो आज इक बहाना है।
बे दर्द आलिम सदा अहज़ान रहा इश्क का,
कच्चा घड़ा तो सदा बना इक बहाना है।
बेसब्र है नसीब मुझे जमीदोज करने को,
हाँ मुझसे तेरा प्यार तो इक बहाना है।
तहजीब को खा गयी दीमक फैशन की,
बदलता वक़्त तो बना इक बहाना है।
जमाने ने कभी दिलों को पढ़ा ही नहीं,
जनाब वक़्त की कमी तो इक बहाना है।
बहुत कहना है बाकी तुझसे इस कातिब को,
मेरी बेसब्र दिखती कलम तो इक बहाना है।
-----------------------कच्चा घड़ा:-सोहनी जिस घड़े से रोज महिवाल से मिलने चेनाब पार जाती थी, उसके स्थान पर उसकी ननद ने कच्चा घड़ा रख दिया था।
-----------------------