गांधी जी बाहर निकल आए Gandhi Ji Bahar Nikal Aaye Poem
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बरसों से दीवार पर,
टेढ़ी टकी खामोश तस्वीर तोड़,
गांधी जी बाहर निकल आए,
आगे बढ़कर महारानी लक्ष्मी बाई से,
तलवार उधार ले आए,
देखते ही देखते सामने चर रहे,
आवारा सरकारी सांड की गर्दन,
जड़ से हवा में उड़ा आए,
वापस तस्वीर में जाते
नेहरू से कहने लगे,
देखो, किसी को बताना नहीं,
एक दिन तो आखिर ये होना था,
पास ही पड़ी घड़ी जब बजने लगी,
तो पता चला,
अरे नहीं !............................. ये तो एक सपना था।