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15.3.11

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कभी वो बड़ी बेखबरी से गुजरता था



होली का त्यौहार आपके जीवन में नए रंग लेकर आये, आपको अपनों का प्यार मिले, ऐसी मेरी ईश्वर से कामना हैं।  इस पावन पर्व पर आपको अग्रिम शुभकामनाएं ।
बचपन में भोलापन बोलता था,
हजार बार तो कहाँ सोचता था।

चेहरों पर यूँ ही एक भरोसा था,
उन्हें हरवक्त तो नहीं तौलता था।  

वो रूठ जाया करता था अक्सर,
लेकिन दोस्ती तो नहीं तोड़ता था। 

बेपरवाही जिंदगी में थी शामिल,
हकीकत को ख़्वाबों में घोलता था।

आज चंद यादें सीने में सजाये है जो,
कभी वो बड़ी बेखबरी से गुजरता था। 

आँखे उस वक्त भी होती थी कभी नम,
फिर भी जीने में कुछ तो हौसला था। 

"सच" आज ठहरा वक्त सोचता है,
कभी वो भी आँगन में खेलता था।

***   ***   ***

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रहने वाला : सीकर, राजस्थान, काम..बाबूगिरी.....बातें लिखता हूँ दिल की....ब्लॉग हैं कहानी घर और अरविन्द जांगिड कुछ ब्लॉग डिजाईन का काम आता है Mast Tips और Mast Blog Tips आप मुझसे यहाँ भी मिल सकते हैं Facebook या Twitter . कुछ और

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Comments
16 Comments
16 टिप्पणियां:
  1. मन के भाव पूरी तरह से अभिव्यक्त हुए हैं ..जीवन का शुरूआती दौर भी क्या दौर होता है ..एक अलवेला दौर ...आपने उसे बड़ी खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है ..आपका आभार

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत ही सुन्दर भावमयी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  3. खूबसूरती से अभिव्यक्त किया है भावमयी प्रस्तुति

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत अच्छी ग़ज़ल।
    सभी शेर बेहतरीन हैं।

    जवाब देंहटाएं
  5. वह रूठ जाया तो करता था .............क्या बात है इसे कहते है अहसास, मुबारक हो .....

    जवाब देंहटाएं
  6. Beautiful creation . Wish you all a wonderful and colourful Holi.

    जवाब देंहटाएं
  7. वक्त बहुत कुछ बदल देता। सुन्दर गज़ल। बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  8. वो रूठ जाया करता था अक्सर , दोस्ती नहीं तोड़ता था ...बचपन का यही गुण लाजवाब होता था ..
    सुन्दर अभिव्यक्ति !

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत ही सुन्दर भावमयी प्रस्तुति
    सारे मन भेद भुला के,एक मन हो जाएँ!
    कबूल करें होली की अग्रिम शुभकामनाएं!!

    जवाब देंहटाएं
  10. प्रशंसनीय.........लेखन के लिए बधाई।
    आपका होली के अवसर पर विशेष ध्यानाकर्षण हेतु.....
    ==========================
    देश को नेता लोग करते हैं प्यार बहुत?
    अथवा वे वाक़ई, हैं रंगे सियार बहुत?
    ===========================
    होली मुबारक़ हो। सद्भावी -डॉ० डंडा लखनवी

    जवाब देंहटाएं
  11. बचपन में भोलापन बोलता था,
    हजार बार तो कहाँ सोचता था।

    ग़ज़ल का हर शेर लाजवाब है ! शुक्रिया !

    जवाब देंहटाएं
  12. 'सच आज ठहरा वख्त सोचता है

    कभी वो भी आँगन में खेलता था |'



    सुन्दर कोमल भाव सहज अभिव्यक्त हो रहे हैं अरविन्द जी !



    रंग पर्व होली की हार्दिक बधाई स्वीकारें ..

    जवाब देंहटाएं

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