रामप्रसाद जिस कार्यालय में कार्य करता था उसी कार्यालय में गुप्ता जी भी वरिष्ठ लिपिक पद पर कार्यरत थे। गुप्ता जी के दिल का बाईपास हो चुका था, उम्र भी लगभग सेवानिवृति के आस पास। वे अक्सर रामप्रसाद को अपने बेटे की तरह समझाते हुए कहा करते थे "देखो रामप्रसाद !, वैसे तुम्हे समझाना तो ऊंट को बस में बैठाने जैसा ही है, लेकिन अभी तुम्हारा खून गरम है, जरा संभल के नौकरी किया करो, अधिकारी तो पत्थर की दीवार होता है, इससे टकराने से तुम्हारा ही माथा फूटेगा, तुम्हारी शिकायतों की जाँच करने को कौन सा हरिश्चंद्र आने वाला है, नीचे से लेकर ऊपर तक सब बिक चुके हैं, अपनी नन्ही बेटी का खयाल करो, तुम्हारी माँ को देखों, तुम्हारी वजह से बुढापे में भी कितनी परेशान रहती है ? तुम्हारी व्यक्तिगत पंजिका ( पर्सनल फाइल ) में अब नया चेतावनी पत्र (मेमोरेंडम) लगाने को जगह तक भी नहीं बची है........बाकी तुम्हारी मर्जी।"







... bahut sundar ... prasanshaneey lekhan !!
जवाब देंहटाएंइसी तरह किसी नये व्यक्ति को इमानदारी से काम करने के लिये हत्तोत्साहित किया जाता है\ नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
जवाब देंहटाएंआज का वातावरण ही ऐसा ही है कि एक ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ व्यक्ति को उसके ही सामने हतोत्साहित किया जाता है ..!
जवाब देंहटाएंजांगिड जी, अब दोस्ती पक्की कर लो हमसे ..दोस्त बनना कोई बुरी बात नहीं ...शुक्रिया
सही सलाह दी..
जवाब देंहटाएंoh...muk ker diya is laghukatha ne
जवाब देंहटाएंबहुत स्टीक ! आज ईमानदार का जीने दुभर करने की पूरी कोशिश की जाती है! वाह ! बहुत शानदार
जवाब देंहटाएंनए वर्ष की आपको भी बधाई।
जवाब देंहटाएंगरम जेब हो और मुंह में मिठाई॥
रहें आप ही टाप लंबोदरों में-
चले आपकी यूँ खिलाई - पिलाई॥
हनक आपकी होवे एस०पी० सिटी सी-
करें खूब फायर हवा में हवाई॥
बढ़ें प्याज के दाम लेकिन न इतने-
लगे छूटने आदमी को रुलाई॥
मियाँ कमसिनों को न कनसिन समझना-
इसी में है इज्जत इसी में भलाई॥
मिले कामियाबी तो बदनामी अच्छी-
सलामत रहो मुन्निओ - मुन्ना भाई॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
समय की नब्ज को पकड़ा है आपने ... नया साल बहुत बहुत मुबारक ..
जवाब देंहटाएंthode shabdon me aaj ka sach....
जवाब देंहटाएंbahut achchha.
सही समझाया !
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें !