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किसका चेहरा चमका हुआ Kiska Chehara Chamaka Hua Hindi Poem

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गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ 
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कुरेद लूँ कुछ जख्म पुराने,
गम आज कुछ कम हुआ। 

दिल के बदले रुसवाई पाई,
दिल का सौदा कुछ यूं हुआ। 

जब जब दिल टूटा किसी का,
बदनाम फिर नसीब हुआ। 

उम्मीद कैसी जमाने से मुझको,
नाउम्मीद जो आपसे हुआ। 

अजीब अन्धेरा था मेरे घर,
जलकर आग में रौशन हुआ। 

धुआँ मेरे दिल से क्या उठा,
चेहरा आपका बेनकाब हुआ। 

या खुदा कब तलक इम्तिहान "सच" का,
नीलाम फिर सरेआम हुआ।

कौन जीतेगा सच झूठ की लड़ाई में,
किसका चेहरा चमका हुआ।

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