आदित्य की पत्नी रेखा को एक शिकायत थी की उसका पति उसकी छोटी बहन पिंकी को बुरी नजर से देखता है। कई बार आदित्य बातों बातों में कह डालता था "भई!....साली तो आधी घरवाली होती है"। रेखा अपने पति के प्रति पूर्ण समर्पित थी लेकिन वो अक्सर सोचती रहती थी की उसमें ऐसी क्या कमी है जो उसका पति जब देखो पिंकी की बातें करता रहता है। आदित्य और पिंकी की बातें हर वक्त रेखा को परेशान रखतीं थी।
एक रोज रेखा ने बाजार में देखा की आदित्य और पिंकी हाथों में हाथ डाले घूम रहे थे। आदित्य पिंकी को नए कपड़े दिला रहा था।
रेखा चुपचाप घर लौट आई। आदित्य जब शाम को घर आया तो रेखा को किसी से फोन पर बात करते सुना "नहीं............ नहीं.....वो आदित्य का बच्चा अभी नहीं आया.......देखो, मैं अब तुम्हारे बिना नहीं रह सकती.... बताओं कल कहाँ मिलने आना है............।"
आदित्य की हालत तो ऐसी थी मानों उसके पैरों तले से जमीन खिसक गयी हो। आदित्य ने आगबबूला होकर रेखा से कहा " ओह! तो ये बात है......क्यों क्या गुल खिला रही थी महारानी............कल कहाँ जाने का मन बनाया है तुमने...........लगता है तुम्हारे पर निकल आए हैं......मुझे तो पता ही नहीं था तुम ऐसी निकलोगी......तुम औरत जात विश्वास के लायक ही नहीं होतीं................।
रेखा ने शांत स्वभाव से जवाब दिया "क्यों इतने में ही मिर्ची लग गई जनाब को..........कैसा लगेगा, मुझे किसी पराये मर्द की बाहों में झूलता देखकर............वैसे तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूँ, मैं मेरे जीजाजी जी से बात कर रही थी.......आखिर मैं भी तो किसी की साली हूँ....और तुम ही तो कहा करते हो की साली आधी घरवाली होती है।" कहते कहते रेखा की आँखें भर आई।
जब आदित्य ने फोन संभाला तो पता चला की ना तो रेखा ने किसी को फोन किया था और ना ही कोई फोन आया था।
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सीख देने का बढ़िया तरीका ....अच्छी लघु कथा
जवाब देंहटाएंअच्छा पाठ पढ़ाया। शायद अब अगले कई जन्मों तक पत्नी को तिरस्कृत नहीं करेगा।
जवाब देंहटाएंअच्छा पाठ पढाया , सुन्दर लघु कथा !
जवाब देंहटाएंI really enjoyed reading the posts on your blog.
जवाब देंहटाएंtit for tat....:)
जवाब देंहटाएंmast udaharan diya apne:)
सही ज़वाब दिया...बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंjaise ko taisa '''' phone per baat bhi nahi ki aur sabak bhi de diya
जवाब देंहटाएंbahut badiya...
जवाब देंहटाएंdil bhar aaya pad kar..
Happy Republic Day..गणतंत्र िदवस की हार्दिक बधाई..
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बहुत रुचिकर अंदाज़ में आपने लिखा है.
जवाब देंहटाएंबढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.
अरविंद जी, एक बात तो कहनी पड़ेगी लघु-कथाओं मे आपका जोड़ नही......इतनी गंभीर और रोज-मर्रा की बातों को आप इतनी सरलता से अपना विषय बना लेते हैं की आपकी तीक्ष्ण नज़रों का म तो कायल हो गया...कल से आपकी लघु-कथाएँ पढ़ रहा हूँ...हर कथा पे टिप्पणी नही दे पाया लेकिन सभी मुझे बहूत पसंद आई
जवाब देंहटाएंसंजीव
shandar ..... nahle par dehala
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