Liked

20.9.10

Pin It

जरा सोचिये







टूटता समाज पहले शहरों तक ही सीमित था, लेकिन अब गाँव भी इससे अछूते नहीं रहे हैं। गाँव के बड़े बुजुर्ग बताते हैं की उनके ज़माने में गाँव में जब किसी के नया घर बनाते थे तो अडोस पड़ोस के लोग छत पर पट्टी (छत डालना, राजस्थान में मुख्य रूप से छत पर पट्टी डालकर ही छत बनायी जाती है) रखने के लिए दौड़े चले आते थे और उनको बदले में गुड बांटा जाता था। आज बुलाने से भी कोई नहीं आता है।अब पट्टी बेचने वाला दूकानदार खुद ही मजदूर भेजने लगा है।  हो सकता है की शायद आप को ये बात छोटी सी लगे लेकिन इसी से टूटते समाज का अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है। अब कोई किसी को बगैर मतलब के "राम राम" भी नहीं करता है। 
पहले गाँव में शाम के वक्त बड़े बुजुर्ग बड गट्टे पर बैठकर इधर उधर की बातें करके पूरे दिन की थकान मिटा लेते थे। अब तो गट्टे रहे ही नहीं, जो रहे हैं उन पर शराब खोरों ने कब्जा जमा रखा है।  किसी के यहाँ शादी हो तो सभी लोग अपने अपने घरों से एक एक खाट (चारपाई) दिया करते थे। अपने अपने घरों से सामर्थ्य के अनुसार दूध दही भी देते थे। आज गाँवों में अजीब सी वीरानी छाई रहती है। काम धंधे वाले सब लोग शहर चले गए हैं। पीछे बचे हैं बूढ़े लोग जो शायद कुढ़ कुढ़ कर अपना जीवन बीता रहे हैं, न तो कहीं आते हैं, और ना कहीं जाते हैं।  मेरा लंगड़पेंच में एक दादा है, जो कमरा बंद करके हुक्का पीता है। मैंने एक दिन दादा को बातों ही बातों में पूछ ही लिया की क्यों वो दूसरों से इतनी दूरी बना के रखता है। जवाब बड़ा ही हास्यास्पद था लेकिन सच भी लग रहा था। दादा ने बताया की "अब लोगों के पास बैठने का वक़्त नहीं रहा। एक तो मुफ्त का हुक्का पी जाएंगे ऊपर से यहाँ से जाने के बाद मेरी ही चुगली खाएँगे। अब लोगो मे "संप" (धैर्य)  नाम की कोई चीज रही नहीं। पता नहीं कब किस बात की गांठ बांध ले।" 

दादा की सोच के पीछे भी कई कारण हैं जो आखिरकार जुड़े तो समाज से ही हैं। समाज भी तो हम सभी से ही मिलकर तो बनता है। 

क्या आप इस बदलते परिवेश को रोक सकते हैं? मैं तो आप को यह जरूर कह सकता हूँ की वर्तमान समय में जितने भी मनोरोग इस समय मोजूद हैं, उनका मूल कारण वर्तमान बिखरता समाज ही है। और यदि समाज इसी गति से टूटता रहा तो आने वाले समय में किसी के घर से मैयत उठाने को चार आदमी किसी दुकान से किराए पर लाने पड़े तो इसमे किसी तरह की कोई हैरत नहीं होनी चाहिए । 



If you enjoyed this post and wish to be informed whenever a new post is published, then make sure you Subscribe to regular Email Updates
मेरे बारे में...
रहने वाला : सीकर, राजस्थान, काम..बाबूगिरी.....बातें लिखता हूँ दिल की....ब्लॉग हैं कहानी घर और अरविन्द जांगिड कुछ ब्लॉग डिजाईन का काम आता है Mast Tips और Mast Blog Tips आप मुझसे यहाँ भी मिल सकते हैं Facebook या Twitter . कुछ और

यदि यह आपको उपयोगी लगता है तो कृपया इसे साँझा करें !
Technorati Digg This Stumble Stumble Facebook Twitter
साँझा करें Share It Now !
StumpleUpon DiggIt! Del.icio.us Blinklist Yahoo Furl Technorati Simpy Spurl Reddit Google Twitter FaceBook

Comments
0 Comments
0 टिप्पणियां:

आपकी टिप्पणियाँ एंव राय बहुमूल्य हैं एंव मेरा मार्गदर्शन करती हैं

Feed Burner Updates

My tips & Tricks

Facebook

People Found Useful Blog Tips at MBT

Support Me !

Support Me By Adding MBT Badge On Your Respective Blog.

 
website-hit-counters.com

© 2010 - 2015. Arvind Jangid All Rights Reserved Arvind Jangid, Sikar, Rajasthan. Template by Mast Blog Tips | Back To Top |