ये जीवन क्यो है? Ye Jivan Kyo Hai
ये जीवन क्यों है? क्यों हम सब जीए जा रहे है, वैसे ही जैसे कोई आँख पर पट्टी बांधकर किसी दुर्घटना की और बढ़ रहा हो। जीवन को किस उद्देश्य के साथ जीना है, यह तो हमारे हाथ की बात है, लेकिन क्यों जीना है यह नहीं। गति तो अनवरत चलती जाएगी। सामाजिक व्यक्ति होने के कारण जीने का उद्देश्य सामाजिक दायित्वों का पालन करना हो सकता है। लेकिन सामाजिक नियम तो हमने ही बनाए हैं। ये रचना तो हमारी ही है। शिक्षक के लिए जीवन का उद्देश्य सम्मान प्राप्त करना है, छात्रों को अच्छी शिक्षा देना है, व्यापारी का उद्देश्य धन कमाना, संत के लिए ईश्वर की प्राप्ति। परंतु सभी के उद्देश्य अलग अलग क्यो जबकि मंजिल एक ही है?
क्या हमारे जीवन का उद्देशय "अंत की और बढ़ना" है? शायद ये एक ऐसा प्रश्न है जिस पर एकराय बन नहीं सकती है। अंधेरे में खड़े होकर प्रकाश की बाते करना जैसे व्यर्थ है वैसे ही जीने के तरीके को उद्देश्य बनाना ही । जीवन का उद्देश्य प्रसिद्धि नहीं है। जीवन का उद्देशय धन नहीं है, क्यों की ये स्थाई नहीं हैं. यह खोज तो जीवन भर चलेगी, लेकिन यदि गंतव्य ही अस्पष्ट हो तो फिर सफर का क्या फायदा।
फिर क्या है इस का उद्देशय ? जिस दिन इस बारे में पता चल जाता है जीवन ही महत्वहीन हो जाता है।
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