-->

"कैसे रखे परिंदा कोई उड़ान के हौंसले" Kaise Rakhe Parinda Koi Poem Lyrics Hindi


कैसे रखे परिंदा कोई उड़ान के हौंसले,
है आकाश भी सैयादों से मिला हुआ। 
तोहमत दें कैसे जमाने की आग को, 
है अपने ही चूल्हे की आग से घर जला हुआ। 
खूब नाम कमाया ईमानदारी ने जमाने में,
मिला चन्दन जो हर बार घिसता हुआ। 
किसने लिख दिया सच आज यहाँ,
शहर में फिर कवि कोई पागल हुआ। 
बड़े मुश्किल हैं आदमजात के चेहरे पहचानना,
है हरेक चेहरा हजार चेहरों से ढका हुआ। 
"सच" चलो किसी मंदिर को चंदा दे आएं,
आज बोझ रूह पर बर्दाश्त से बाहर हुआ। 
***   ***  ***