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कुछ बातें हैं दिल की




"सच" कुछ बाते हैं दिल की,
एक एक करके कहता हूँ,
एक एक करके समेट लूँगा ।
"सच" यकी रख कोई आने से रहा,
चल आज घर को फिर से सजाते हैं।
"सच" मुझे अब समझाना नहीं,
अँधेरे जहाँ ले चले मुझे जाने दे।
"सच" कभी वक्त निकाल कर आना,
क्या क्या जला है आग में बताउंगा।
"सच" जाने जमाने को क्या हुआ,
देख आदमी बरसों से हंसा ही नहीं ।  
"सच" यूँ तो रात भी बड़ी वीरान है,
मगर तेरे बिना दिन भी सूना सा लगे ।

"सच" क्यों किसी से दिल लगाने लगा,
तेरे पास अब टूटने को बाकी क्या है।
"सच" दिल कुछ यूँ जलता है रोज,
आँखों में सदा सावन सा रहता है।
अंधेरों में ही वक्त कट जाए तो अच्छा है,
"सच" न जाने उजाले कितना तड़पाते होंगे।

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मेरे बारे में...
रहने वाला : सीकर, राजस्थान, काम..बाबूगिरी.....बातें लिखता हूँ दिल की....ब्लॉग हैं कहानी घर और अरविन्द जांगिड कुछ ब्लॉग डिजाईन का काम आता है Mast Tips और Mast Blog Tips आप मुझसे यहाँ भी मिल सकते हैं Facebook या Twitter . कुछ और

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Comments
11 Comments
11 टिप्पणियां:
  1. अंधेरों में ही वक्त कट जाए तो अच्छा है,
    "सच" न जाने उजाले कितना तड़पाते होंगे।

    बहुत खूब ....

    जवाब देंहटाएं
  2. सच" यूँ तो रात भी बड़ी वीरान है,
    मगर तेरे बिना दिन भी सूना सा लगे ।

    बहुत बेहतरी से भावों को सांझा किया है आपने ...!

    जवाब देंहटाएं
  3. सच कहती हूँ...........
    बहुत सुन्दर रचना..

    अनु

    जवाब देंहटाएं
  4. "सच" कभी वक्त निकाल कर आना,
    क्या क्या जला है आग में बताउंगा...

    Yes, it happens, which we regret later.

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर भावो को संजोया है।

    जवाब देंहटाएं
  6. "सच" जाने जमाने को क्या हुआ,
    देख आदमी बरसों से हंसा ही नहीं ।

    Sach Kaha....

    जवाब देंहटाएं
  7. "सच" जाने जमाने को क्या हुआ,
    देख आदमी बरसों से हंसा ही नहीं ...

    सभी सच हकीकत के करीब से उठाए हुवे हैं ... बहुत खूब ...

    जवाब देंहटाएं
  8. "सच" जाने जमाने को क्या हुआ,
    देख आदमी बरसों से हंसा ही नहीं ।
    gahan abhivyakti ..
    sundar rachna.

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत सुन्दर और सटीक प्रस्तुति...

    जवाब देंहटाएं
  10. इन पंक्तियों में सच ही लिखा है।
    बहुत सुंदर।

    जवाब देंहटाएं

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