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वात दोष क्या है, सम्पूर्ण जानकारी लक्षण, निदान Vata Dosha Caused Remedies Hindi

वात दोष क्या है, सम्पूर्ण जानकारी लक्षण, निदान Vata Dosha Caused Remedies Hindi

वात दोष क्या है, सम्पूर्ण जानकारी लक्षण, निदान Vata Dosha Hindi

आज के इस लेख में हम वात विकार, वात दोष के प्रकार आदि के विषय में विस्तार से जानकारी प्राप्त। आयुर्वेद में वात, पित्त, और कफ तीन स्वास्थ्य के गुण हैं। तीनों जब असंतुलित हो जाते हैं तो दोष का रूप ले लेते हैं। आपको जान लेना चाहिए की वात दोष को तीनों दोषों में सर्वाधिक महत्पूर्ण माना गया है। मानव शरीर की सभी क्रियाएं वात से ही संचालित होती हैं। चरक संहिता के अनुसार वायु पाचक, दीपन, पाचन की अग्नि की वृद्धि करने वाला कहा गया है, यही जीवन शक्ति का वर्धक होता है । वात का प्रमुख स्थान पेट और आँतों में माना गया है। वात दोष के हो जाने पर लगभग ८० प्रकार के रोग हो जाते हैं।
 
वात दोष क्या है, सम्पूर्ण जानकारी लक्षण, निदान Vata Dosha Caused Remedies Hindi

वात दोष क्या है और इसके लक्षण

ऐसे रोगियों के शारीरिक लक्षणों की बात की जाय तो ये सदैव ही जल्दबाजी में दिखाई देते हैं और जब वे बैठते हैं तो अपने पैरों को हिलाते रहते हैं। ऐसे रोगियों की त्वचा शुष्क होती है और अक्सर ही चिंताग्रस्त दिखाई देते हैं।
बाल सूखे और रुष्ट होने हैं और कान होंठ और जोड़ में भी समस्या होती है।
  • सूजन, गैस, कब्ज, निर्जलीकरण, वजन में कमी आने लगती है। 
  • हड्डियों के जोड़ों में ढीलापन का हो जाना।
  • एस रोगियों को अकसर ही चक्कर आना और बेचैनी आदि होती है।
  • इन रोगीओं को अधिक ठण्ड लगती है।
  • वात रोगियों को मांसपेशियों में ऐंठन, संकुचन, असामान्य दर्द होता है।
  • त्वचा और होठों का खुरदरापन स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
  • अत्यधिक बेचैनी, चिंता, बेचैनी, मांसपेशियों में मरोड़, धड़कन, घबराहट होती है।
  • रोगियों का वजन बढ़ता नहीं है।
  • वात रोगियों को अनिंद्रा होती है। 
  • शारीरिक अंगों का ठंडा हो जाना और सुन्न पड़ जाना। 
  • मुंह का स्वाद कड़वा हो जाना। 
  • शारीरिक कमजोरी और कंपकपी का छूटना। 

वात के प्रकार Kinds of Vata

  • प्राण
  • उदान
  • समान
  • व्यान
  • अपान

वात बढ़ने के कारण Reason of Increasing Vata

  • आयुर्वेद के अनुसार वात बढ़ने के कई कारण होते हैं। आइये निचे कुछ कारण जान लेते हैं जो की वात बढ़ने के लिए उत्तरदाई होते हैं।
  • प्राकृतिक रूप से उत्पन्न इच्छाओं को रोककर रखना यथा, मल-मूत्र या छींक आदि को रोककर रखना।
  • अनियमित भोजन या भोजन के पचने से पूर्व ही अन्य भोजन को करना।
  • देर रात तक जागना और समय पर नहीं सोना।
  • तीव्र स्वर में चिल्लाकर बोलने की आदत।
  • अधिक शारीरिक मेहनत करना।
  • अधिक कटु और मिर्च मसालेदार भोजन का सेवन।
  • अधिक मानसिक अवसाद में रहना।
  • अधिक सेक्स करना।
  • अधिक ठंडी वस्तुओं का सेवन करना। 
  • अत्यधिक ठन्डे या शुष्क मौसम में रहना। 
  • ऐसे खाद्य पदार्थ जो मुंह, त्वचा या मल को शुष्क बनाते हैं, शुष्कता बढ़ाते हैं।

वात दोष को संतुलित करने के उपाय

वात दोष को संतुलित करने के लिए आप अपने खानपान का विशेष रूप से ध्यान रहें। वात कारक खानपान से आपको परहेज करना चाहिए। हम जो भी भोजन ग्रहण करते हैं वह हमारे शरीर के अंदर वात के स्तर को काफी हद तक बढ़ाता अधिक मीठा, खट्टा और नमकीन भोजन वात को बढ़ा सकता है।

वात दोष में क्या ना खाएं Vata Dosha Me Kya Nahi Khayen

  • फल हमारे शरीर के लिए गुणकारी होते हैं लेकिन इनकी अधिक मात्रा वे यदि सेवन किया जाए तो ये वात को बढ़ा सकते हैं। इसलिए सेब, नाशपाती, अनार और तरबूज आदि का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही कच्ची सब्जियों का भी अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
  • साबुत अनाज जौ, मक्का, बाजरा, उड़द, मसूर, सोयाबीन ब्राउन राइस और राजमा आदि का संतुलित सेवन ही करना चाहिए।
  • पाउडर वाला दूध, बकरी का दूध, सभी प्रकार के कार्बोनेटेड ड्रिंक, नाशपाती का रस, अनार का रस, चाय, कॉफी आदि का अधिक उपयोग नहीं करना चाहिए।
  • पत्तागोभी, फूलगोभी, ब्रोकली आदि वात को बढ़ाती हैं।
  • कोल्ड कॉफ़ी, ब्लैक टी, ग्रीन टी, फलों के जूस आदि से परहेज किया जाना चाहिए।
  • नाशपाती, कच्चे केले आदि का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए।
 

वात दोष में क्या खाएं Vata Dosha Me Kya Khana Chahiye

  • वात विकार में भोजन का बहुत अधिक महत्त्व होता है इसलिए आप संतुलित मात्र में ताजे फलों का उपयोग करें।
  • सब्जियों को अच्छे से पकाकर उपयोग में लें।
  • दूध, मक्खन, छाछ, पनीर आदि का उपयोग करें।
  • घी, तेल और फैट युक्त खाद्य प्रदार्थ उपयोगी होते हैं। 
  • अपने भोजन में सलाद का उपयोग करें और गाजर, चकुंदर पालक आदि को शामिल करें।  
  • सोया दूध का उपयोग करें। 
  • मूंग दाल, राजमा का उपयोग करें।
वात को कम करने के लिए आप निम्न भोजन को अपने आहार में शामिल करें -
  • गर्म सूप/Hot soups & stews
  • घी /Ghee
  • Avocados
  • Nuts
  • नारियल/Coconut
  • छाछ/Buttermilk
  • जैतून/Olives
  • अंडे/Eggs
  • पनीर/Cheese
  • वसायुक्त दूध/Whole milk
  • गेहूँ/Wheat
  • गर्म मसाले जैसे हल्दी, अलसी, दालचीनी, अदरक /Warm spices such as turmeric, flaxseeds, cinnamon, ginger.

ऐसे खाद्य प्रदार्थ जो वात को बढ़ाते हैं :-

  • आटिचोक/Artichokes
  • कड़वा तरबूज/Bitter melon
  • ब्रोकोली/Broccoli
  • ब्रूसेल स्प्राऊट्स/Brussel sprouts
  • पत्ता गोभी/Cabbage
  • गाजर (कच्ची)/Carrots (raw)
  • बेल मिर्च/Bell peppers
  • फूलगोभी/Cauliflower
  • अजमोदा/Celery
  • मिर्च/Chillies
  • भुट्टा/Corn
  • मशरूम/Mushroom
  • हरे जैतून/Green olives
  • मूली/Radish
  • कच्चा पालक/Raw spinach
  • अंकुर/Sprout
  • टमाटर/Tomato
  • शलजम।/Turnip

वात को कम करने के घरेलु उपाय Home remedies to reduce vata

अदरक : कच्ची अदरक और इसे सूखा कर सौंठ बनाई जाती है। अदरक या सोंठ वात विनाशक होती है। अदरक को आप चाय, दूध में उपयोग ले सकते हैं। आप सोंठ/शुष्ठी का चूर्ण भोजन के उपरान्त, पिप्पली और अजवाइन में मिलाकर ले सकते हैं। 
 
इलायची : ईलायची भी वात को कम करने वाली होती है। इलायची वात, पित्त , कफ को नियंत्रित करती है। यह सूजन को काम करने वाली और पाचन करने वाली होती है।  

हल्दी (हल्दी) / Turmeric- हल्दी का उपयोग भारतीय रसोई में मसाले के रूप में प्रधानता से किया जाता है। इसे आप दूध में मिलाकर भी पी सकते हैं। उल्लेखनीय है की हल्दी पाचक, दीपन और रक्त परिसंचरण को बढ़ाने वाली औषध है। इसके अतिरिक्त हल्दी करक्यूमिन, एक एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सीडेंट और कैंसर-रोधी यौगिक गुणों से युक्त होती है। 

अश्वगंधा (Withania somnifera): अश्वगंधा जिसे पाडलसिंघ भी कहते हैं विभिन्न स्वास्थ्य गुणों युक्त होती है। अश्वगंधा अवसाद कम करने वाली, तावान को कम करने वाली, अनिंद्रा विकार दूर करने वाली होती है। इसके अतिरिक्त यह औषध पादप की मूल यौन शक्ति का विकास करने वाली, रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास करने वाली और जोड़ों के दर्द में सहायक होती है। 

ब्राह्मी (Bacopa monnieri) : ब्राह्मी औषध तनाव दूर करने वाली औषध है। ब्राह्मी का गुण भी वात को कम करना है। नींद को कम बढ़ाने, स्मरण शक्ति का विकास करने में यह ओषधि उत्तम परिणाम देती है। इसे चिकित्स्क की सलाह के उपरान्त लेने से यह वात विकार को दुरुस्त करने में सहायक होती है।

नोट: यह जानकारी नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ आयुर्वेदा की सूचनाओं पर आधारित है । वात दोष से जुड़ी आधारिक जानकारी के लिए आप वैद्य से संपर्क करें। इस बाबत इस साइट की अस्वीकरण को अवश्य पढ़ें।