आज फिर दिल कुछ पूछना चाहता है Aaj Phir Dil Poem Lyrics
सड़क के किनारे,
पड़ी गरीबी पैर पसारे,
नंगे बच्चे,
एक अदद रोटी को चिल्लाते,
भूखे पेट ही क्यूँ सो जाते है,
आज फिर दिल कुछ पूछना चाहता है,
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बाप बेचकर अपनी धरती माँ को,
पढ़ाता लिखाता अपने बेटे को,
नौकरी ले जाता कोई सिफारिशी,
हर रात मन ही मन वह क्यूँ रोता है,
आज फिर दिल कुछ पूछना चाहता है,
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मुट्ठी भर लोगों का शहर,
बना डाला किसने बेगानों का,
सड़क पर बिखरता सिंदूर,
क्यूँ किसी को नहीं दिखाई देता है,
आज फिर दिल कुछ पूछना चाहता है,
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भ्रष्टाचारी बन रावण,
नंगा नाचता रहता है,
आवारा सरकारी बैल
सब कुछ चरता रहता है,
भगवान भी जाने कब से,
क्यूँ इनको बस देखता ही रहता है,
आज फिर दिल कुछ पूछना चाहता है,
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