करवाचौथ की रात, एक विधवा,
दुनिया की नजरों से खुद को छुपा,
झूठी मुस्कान से छलक़ती बुँदे छुपा लेती है,
टेढ़ी टकी तस्वीर से, वक़्त की गर्त हटा,
खामोश तस्वीर से मन ही मन बतला लेती है,
तुमने तो वादा किया था, साथ निभाने का,
जीवन की सांझ, एक साथ बिताने का,
बीच सफर छोड़ चले किसके सहारे,
तस्वीर को फिर सीधा लगा,
रोते रोते ना जाने वो कब सो जाती है।
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बेहद मार्मिक
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