आस-पास.....पास-पास....और खास-खास Aas Paas Short Story
रामप्रसाद को पूरा यकीन था की इस बार तो उसका नाम पदोन्नति की सूचि में जरूर होगा, उसने कार्यालय के सभी कार्य समय पर निपटाए हैं, नियम कायदों की भी चंगी भली जानकारी रखता है। एक दिन रामप्रसाद के सहकर्मी बाबू लाल जी मिठाई खिलाते नजर आये। रामप्रसाद की नहीं............ पता चला की बाबूलाल जी की पदोन्नति हो गयी है।
रामप्रसाद संतोषी स्वभाव का था सो घटना ज्यादा दुखी नहीं कर पाई, लेकिन कारण जानने को मन व्याकुल था। जब उच्च कार्यालय के अधिकारी से इस बारे में रामप्रसाद ने पूछा तो उन्होने "मामले को तुरंत संज्ञान में लेकर" कहा.... "देखो रामप्रसाद, माना की तुम अच्छे कार्मिक हो, सारा काम समय पर निपटाते हो, आई मीन सिन्स्सियर हो, इसके लिए सरकार तुम पर नाज करेगी, लेकिन बाबूलाल जी से तुम्हारी तुलना नहीं की जा सकती, उन्होने बड़े साहब के आस पास रहते हुये उनके कई अटके कार्य निकाले हैं........कुछ ही दिनों में वो पास पास हो गए और देखो ना......अब खास खास ! समझे ! अब जाओ, अगले साल फिर कोशिश करना "खास खास " बनने की।"
रामप्रसाद कार्यालय से घर लौटते रास्ते में इसी बारे में सोचे जा रहा था की शायद उसकी मेहनत में कहीं न कहीं कोई कमी रह गई है, अगले साल और ज्यादा मेहनत करेगा।
रामप्रसाद का ध्यान अचानक लगे ब्रेक की आवाज से टूटा................ " अबे !.......... इतने बड़े शहर में मेरा टेंपू ही मिला है तुझे मरने के लिए, जा भईया किसी मर्सिडीज के नीचे आ............यहाँ तो मेरे ही खाने के लाले पड़े हैं, तुझे क्या दे दूंगा बे.....।"