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27.12.10

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नज़रों में जब आपकी गुंजाइस कोई रही नहीं




जमीने कम पड़ी जबसे बटवारों में,
जगह दिलों में इंसान के रही नहीं। 

चले मंदिर में नया देवता बनाने को,
क्या मन में कोई मूरत अब रही नहीं। 

आजमाए तो होंगे आपने चेहरे कई,
दौलत जब आपकी भी रही नहीं। 

हम तो जी लेते हैं खामोशी से यहाँ,
आग जहन में आपके क्योँ रही नहीं। 

आजमाया हमने आपकी दुनिया को,
कदर अश्कों की आज जहां रही नहीं। 

कैसे कह दें आपको दिल वाली बात,
नज़रों में जब कोई गुंजाइसरही नहीं।

***   ***   ***

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मेरे बारे में...
रहने वाला : सीकर, राजस्थान, काम..बाबूगिरी.....बातें लिखता हूँ दिल की....ब्लॉग हैं कहानी घर और अरविन्द जांगिड कुछ ब्लॉग डिजाईन का काम आता है Mast Tips और Mast Blog Tips आप मुझसे यहाँ भी मिल सकते हैं Facebook या Twitter . कुछ और

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Comments
17 Comments
17 टिप्पणियां:
  1. 'ajmaya hai hamne apki duniya ko
    kadar ashkon ki jahan rahi nahi '
    alag andaz ki bhavpoorn panktiyan.

    जवाब देंहटाएं
  2. यह गजल तो बहुत सुन्दर लिखी है आपने!
    बधाई!

    जवाब देंहटाएं
  3. @सुरेन्द्र सिंह जी, सदा जी, डॉक्टर मयंक जी, अमूल्य उत्साहवर्धन हेतु आपका साधुवाद.

    जवाब देंहटाएं
  4. कैसे कह दें आपको दिल की बात,
    नज़रों में जब आपकी गुंजाइस कोई , रही नहीं।
    ... kyaa baat hai ... bahut khoob !!!

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर भाव..बेहतरीन गज़ल

    जवाब देंहटाएं
  6. शानदार प्रस्तुति //
    नए साल की बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. बेहतरीन रचना। बधाई स्वीकार करे।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत प्रभावी रचना ...शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  9. अरविन्द जी ,
    हर पंक्ति लाजवाब है। इस उम्दा ग़ज़ल के लिए बधाई।

    जवाब देंहटाएं
  10. बेहतरीन रचना। बधाई स्वीकार करे।

    जवाब देंहटाएं
  11. ..बहुत ख़ूबसूरत...ख़ासतौर पर आख़िरी की पंक्तियाँ....मेरा ब्लॉग पर आने और हौसलाअफज़ाई के लिए शुक़्रिया..

    जवाब देंहटाएं
  12. नए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!

    जवाब देंहटाएं
  13. दिल को छूने वाली खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
    सादर,
    डोरोथी.

    जवाब देंहटाएं
  14. सच है इंसान के दिल तंग होते जा रहे हैं .. अच्छी प्रस्तुति है ...

    जवाब देंहटाएं

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