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बुजुर्गों को आँगन में बुला के देखिए





मत समझिए कलम को बेजान,
पन्ने इतिहास के पलट के देखिये।

खुले रहते दरवाजे जहाँ हरदम,
खुदा की दहलीज़ पर आके देखिये। 

जहान लगता सारा जन्नत जैसा,
खुद को खाक में मिला के देखिये। 

आज बच्चे तरसने लगे खेलने को,
आंगन की दीवार गिरा के देखिये। 

खुद ही चले जाएंगे आतताई कैसे,
खुदीराम बोस से पूछ के देखिये। 

इंसान कैसे हुआ जुदा इंसान से,
लहू को लहू में मिला के देखिये। 

शायद भूल चले ये वतन किसका,
बुजुर्गों से नजरें मिला के देखिए।

क्या क्या पा लिया है आज हमने,
बुजुर्गों को आँगन में बुला के देखिए।  

टूट जाएंगे जाने वहम आपके कितने,
नजर से नजर को मिला के देखिये।

आज बोलना भी तो आसान नहीं रहा,
"सच" को जबान पे चढ़ा के देखिये।


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मेरे बारे में...
रहने वाला : सीकर, राजस्थान, काम..बाबूगिरी.....बातें लिखता हूँ दिल की....ब्लॉग हैं कहानी घर और अरविन्द जांगिड कुछ ब्लॉग डिजाईन का काम आता है Mast Tips और Mast Blog Tips आप मुझसे यहाँ भी मिल सकते हैं Facebook या Twitter . कुछ और

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Comments
19 Comments
19 टिप्पणियां:
  1. क्या खुद ही चले जाएंगे आतताई,
    सावरकर, खुदीराम, बोस से पूछ के देखिये।

    satya kaha hai...

    जवाब देंहटाएं
  2. जायेगा वहम आपके कितने
    नजर से नजर मिला देखिये
    ...............बिकुल सत्य कहा आपने अरविन्द जी

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ही सुन्‍दर भावमय प्रस्‍तुति हर एक पंक्ति एक नये सच को जीवंत करती हुई ...।

    जवाब देंहटाएं
  4. इंसान कैसे जुदा इंसान से
    लहू को लहू में मिला के देखिए।
    बहुत खुब।
    खुबसुरत एहसास लिए सुन्दर रचना। आभार।

    जवाब देंहटाएं
  5. अरविन्द जी
    आपकी इस गजल में भूत ..भविष्य और वर्तमान तीनों बहुत संजीदगी से अभिव्यक्त हुए हैं ...काफी संजीदगी से अपने हर एक लफ्ज का प्रयोग किया है ...हर एक शेर में भाव सम्प्रेषण ...कमाल का है ...कुल मिलकर पूरी गजल ..के क्या कहने ..यूँ ही लिखते रहें ...मेरी पसंद की विधा में .....शुक्रिया

    जवाब देंहटाएं
  6. एक बेहतरीन ग़ज़ल ख़ास तौर पे बुजुर्गों को बुला के देखिये तो लाजवाब है

    जवाब देंहटाएं
  7. जहाँ सारा जन्नत जैसा
    खुद को खाक में मिला कर देखिये !
    बहुत खूब!

    जवाब देंहटाएं
  8. टूट जाएंगे वहम आपके कितने,

    बेहतरीन अरविंद भाई| बधाई|

    जवाब देंहटाएं
  9. भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों बहुत संजीदगी से अभिव्यक्त हुए हैं इस गजल में| बधाई|

    जवाब देंहटाएं
  10. सार्थक सन्देश देती कविता.

    जवाब देंहटाएं
  11. सच बोलना आसान नहीं. ...
    सुन्दर एवं सार्थक प्रस्तुति।

    जवाब देंहटाएं
  12. इंसां कैसे जुदा इंसान से ,
    लहू से लहू मिला कर देखिये !
    वाह,आपके चिंतन की गहराई इस शेर में साफ़ दिखाती है !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    जवाब देंहटाएं
  13. बच्चे तरसने लगे खेलने को,
    आंगन की दीवार गिरा के देखिये।

    waah kya baat hai !

    जवाब देंहटाएं
  14. maine aapke comments Divya Ji ke Blog Zeal pe padhi...aapke vichar kaafi positive hain ..aapki kavita mujhe achchi lagi. Thanks

    जवाब देंहटाएं
  15. खूबसूरती से व्यक्त किये गए विचार....नव वर्ष मंगलमय हो !!!!!!!

    जवाब देंहटाएं

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