दाना चिड़ियों को मयस्सर भी नहीं Dana Chidiyo Ko Mayassar Poem Lyrics Hindi
लहलहाती हैं फसले खेतों में,
दाना चिड़ियों को मयस्सर नहीं।
परिंदे यूं हैं शामिल उड़ानों में,
ना कतरवाए पर वो परिंदा नहीं।
धुल गए शहर के शहर बरसात में,
मन का है एक मैल जो धुलता नहीं।
जमाना छिपाता है चेहरे नजरों में,
नज़रों से मगर कुछ छिपता नहीं।
घर जला तो यकी हुआ जमाने को,
वो आग ही थे कोई रहबर तो नहीं।
जीने लगे खामोश चारदिवारी में,
जमाने को मुझसे अब शिकायत नहीं।
किससे करें फरियाद अब आखिर,
सोये देवता चढ़ावे से जागते नहीं।
कैसे बिसरा दे यादें हम सितमगर,
इनके सिवा कोई अपना भी नहीं।