"माँ मैं जीना चाहती हूँ" Maa Main Jeena Chahati Hu Short Story
सुलोचना के घर वाले को खबर लग चुकी थी की सुलोचना उसके साथ कॉलेज में पढ़ने वाले लड़के अभिनव से प्यार करती थी, जो उनकी जाति से नहीं था। समाज में कहीं उंच नीच ना हो जाये इसलिए सुलोचना की पढ़ाई बीच में ही छुड़वा दी गयी। सुलोचना के पिता की समाज में ठीक ठाक इज्जत थी। जातिवाद तो मानों कूट कूट कर भरा था उनमें। अभिनव के पिता शर्मा जी से सुलोचना के पिता जाने क्या कह आए की उन्होने अपना स्थानांतरण किसी दूसरे शहर में करवा लिया। इन बातों को एक साल बीतने को आया न तो सुलोचना अभिनव से फिर कभी मिल पाई और ना ही जान पाई की वो कहाँ है, कैसा है।
आज सुलोचना को देखने उसके होने वाले सास ससुर आने वाले थे। रिश्ता मामाजी ने करवाया था, लड़का राज्य सरकार में अध्यापक था, यानी खाते पीते घर से था।
सुलोचना की माँ जब किसी काम से सुलोचना के कमरे में आई तो देखा कमरे में कोई नहीं था। सुलोचना की माँ बिस्तर पर रखा खत उठाकर पढ़ने लगी जिसमें लिखा था "माँ, क्या अभिनव से मेरा प्यार इसलिए सही नहीं है क्योंकि वो किसी दूसरी जाति का है ?..........माँ, मैं कहाँ जा रही हूँ...........मुझे नहीं पता....... लेकिन माँ मैं जीना चाहती हूँ.............।"
आज सुलोचना का खत मानो बेखौफ होकर जमाने को चिढ़ा रहा था।