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गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ
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गम आज कुछ कम हुआ।
दिल के बदले रुसवाई पाई,
दिल का सौदा कुछ यूं हुआ।
जब जब दिल टूटा किसी का,
बदनाम फिर नसीब हुआ।
उम्मीद कैसी जमाने से मुझको,
नाउम्मीद जो आपसे हुआ।
अजीब अन्धेरा था मेरे घर,
जलकर आग में रौशन हुआ।
धुआँ मेरे दिल से क्या उठा,
चेहरा आपका बेनकाब हुआ।
या खुदा कब तलक इम्तिहान "सच" का,
नीलाम फिर सरेआम हुआ।
कौन जीतेगा सच झूठ की लड़ाई में,
किसका चेहरा चमका हुआ।
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अरविन्द जी क्या बात है ....धुआं आपके दिल से उठने पर किसको बेनकाब किया आपने ....पर सच कहूँ तो गजल बहुत लाजबाब है ..भाई ....आपका आभार
जवाब देंहटाएंबहुत खूब ...अच्छी गज़ल
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की सभी को हार्दिक शुभ-कामनाये
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण..गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें..
जवाब देंहटाएंधुआँ मेरे दिल से क्या उठा,
जवाब देंहटाएंचेहरा आपका बेनकाब हुआ.. bahut achchhe..
धुआँ मेरे दिल से क्या उठा,
जवाब देंहटाएंचेहरा आपका बेनकाब हुआ.. bahut achchhe..
Happy Republic Day..गणतंत्र िदवस की हार्दिक बधाई..
जवाब देंहटाएंMusic Bol
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बहुत खूब ...अच्छी गज़ल
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
Happy Republic Day.........Jai HIND
बहुत खूब ...अच्छी गज़ल
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
Happy Republic Day.........Jai HIND
हार्दिक बधाई..
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर ...गणतंत्र दिवस की मंगलकामनाएं....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी गजल है!
जवाब देंहटाएंगणतन्त्र दिवस की 62वीं वर्षगाँठ पर
आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
भावपूर्ण रचना, वाह वाह.
जवाब देंहटाएंगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई.