बात उनकी नहीं, है वक़्त की Baat Unaki Nahi Hai Waqt Ki Poem Lyrics
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दौड़ता है इंसान वक़्त के पीछे,
पलटकर जो पीछे देखे, नहीं फितरत वक़्त की।
मिट गए जाने कितने इंसान,
जो ना मिट पाई वो हस्ती है वक़्त की।
वक़्त की बातें हैं वक़्त से,
ना दोस्ती ना दुश्मनी की, बातें हैं वक़्त की।
भरते नहीं क्यों जख्म वक़्त से,
हैं आदत इंसान की हरवक़्त कुरेदने की।
नहीं रहा डर इंसान को किसी नजर का,
है खता कहाँ इसमें वक़्त की।
इंसान समझता नहीं कुछ वक्त को,
वाजिब शिकायत है वक़्त की।
वक़्त ने छीने जीने के बहाने सारे,
अजीब दुश्मनी है ज़िंदगी से वक़्त की,
जी तो लिए उम्र सारी हम,
क्यों फिर लगती है आज कमी वक़्त की।
"सच" वो जमीन से आसमां हुए,
बात उनकी नहीं, है वक़्त की।
