दर्द-ए-दिल का यूं इजहार न कर Darde Dil Ka Ijhar Poem Lyrics
दर्द-ए-दिल का यूं इजहार न कर,
बेवजह  ही सवाल जवाब न कर।
बहुत  ही नाजुक  है दिल उसका,
हर बात को इक इम्तेहान न कर। 
दुनिया  उसे क्या समझेगी आज,
दिल की किताब यूं खोला न कर।
मायूस सी हुई जिंदगी नफ़रतों में,
आज यहाँ बस प्यार की बात कर। 
बड़े  अजीब  होते हैं दिलों के सौदे,
यहाँ न किसी बाजार की बात कर। 
मंज़िलें तो मुकर्रर है सबकी यहाँ,
कहाँ जाना है तुझको यूं दौड़ कर। 
"सच" जिंदगी उससे खफ़ा सी रही,
इक कतरा भी जी न पाया चाह कर। 
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