पत्ते-पत्ते में किसने फूँकी जान है रे Patte Patte Me Kisane Poem Lyrics
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साँसों का खजाना जिसके हाथ है रे।
करने लगा मनमानी जग में आकर,
भूला की होना एक दिन हिसाब है रे।
किसको ढूँढता हैं मंदिर मस्जिद में,
कण कण में उसका तो वास है रे।
नेकी के सिवाय क्या है साथ जाना,
किस पर तुझको यूं अभिमान है रे।
हरी को सुमर ले जब तक साथ शरीर,
होना है बेबस बुढ़ापा उसका नाम है रे।
दूसरों को रुला जो हँसकर है जी रहा,
जीना उसका भी यहाँ धिक्कार है रे।
तू भूखों को खिला, तू रोतों को हँसा,
इससे बढ़कर क्या धर्म का काम है रे।
भगवान को भी आना पड़ता है वहाँ,
इंसान का इंसान से जहां प्यार है रे।
क्यों आज तू "सच" जो बोल नहीं पाता,
बरसों से इस आत्मा पर बहुत बोझ है रे।
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